Yamunanagar : विधायकों के निवास पर नारेबाजी, मांगों से संबंधित सौंपे ज्ञापन

Yamunanagar Hulchul : मोटरसाईकिलों से रैली निकाल पहुंचे विधायकों के निवास स्थान। पक्ष व विपक्ष दोनों की विधायकों को सौंपे मांगपत्र।

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Yamunanagar District में नारेबाजी करते कर्मचारी व विधायकों के निवास स्थान पर तैनात पुलिस बल।

Yamunanagar Hulchul : दी चेतावनी, जल्द मांगे नहीं मानी तो हो सकता है बड़ा आंदोलन

  • मोटरसाईकिलों से रैली निकाल पहुंचे विधायकों के निवास स्थान

  • पक्ष व विपक्ष दोनों के विधायकों को सौंपे मांगपत्र

यमुनानगर हलचल। यमुनानगर, 11 फरवरी। अपनी मांगों को लेकर बुधवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सर्व कर्मचारी से संबंधित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने क्षेत्र के विधायकों को अपने ज्ञापन सौंपे। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर सरकार जल्द से जल्द ध्यान दे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो सर्व कर्मचारी संघ एक बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होगा जिसकी जिम्मेवारी भी सरकार की होगी।

इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार विरोधी नारेबाजी कर सत्ता व विपक्ष के सभी विधायकों को अपने मांग पत्र सौंपे। कर्मचारियों के प्रदर्शन को देखते हुए पहले से ही विधायकों के निवास स्थान पर सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया था।

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Yamunanagar District में नारेबाजी करते कर्मचारी।

सरकार कर्मचारियों से कर रही वायदा खिलाफी : महिपाल

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा से संबंधित सभी विभागों के कर्मचारी अपनी मोटरसाइकिलों पर भीड़ के रूप में दशहरा ग्राउंड यूनियन कार्यालय पर इकठ्ठे हुए। जहां से कर्मचारियों ने मांगो का ज्ञापन देने के लिए सत्ता व विपक्ष के सभी विधायकों के आवास पर पहुंचे। कर्मचारियों ने शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, बी.जे.पी. विधायक घनश्यामदास अरोड़ा व कांग्रेस विधायक बी.एल. सैनी के निवास स्थान पर जाकर सरकार के विरोध के मुर्दाबाद के नारे लगाए।

इस मोटरसाइकिल जत्थे की अध्यक्षता जिला प्रधान महिपाल सोडे व संचालन जिला सचिव राजपाल सांगवान द्वारा किया गया। जत्थे में पहुंचे कर्मचारी नेताओ ने कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा लंबे समय से प्रदेश की भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार को लगातार कर्मचारियों की मांगों का ज्ञापन भेजकर मांगो को लागू करने की अपील कर रहा है।

ज्ञापन में शामिल अधिकतर मांगे गठबंधन सरकार की दोनों राजनीतिक पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में मुख्यत: शामिल रही हैं। परंतु सरकार मांगों को लागू न करके कर्मचारियों से वायदा खिलाफी कर रही है। कोविड-19 के चलते लॉकडाउन में प्रदेश की लडख़ड़ाती आर्थिक स्थिति को बचाने के लिए जनहित में प्रदेश के कर्मचारियों ने सरकार के लिए फंड में 100 करोड रुपए से ज्यादा जमा करवाए थे।

इसी के साथ सरकार को ठेकेदारी प्रथा खत्म करने वह पुरानी पेंशन बहाल करने के मुख्यत: 2 लिखित में प्रस्ताव दिए थे, जिनसे करोड़ों रुपए सरकार के राजस्व में बचाया जा सकता था। परंतु सरकार ने इन सुझावों की अनदेखी कर उल्टे जनवरी 2020 से कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में एल.टी.सी. पर रोक लगा दी गई। इसके साथ ही सरकार लगातार जन सेवाओं के विभागों के निजीकरण की ओर तेजी से बढ़ रही है। इससे जहां रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं, वहीं जनता को मिलने वाली जन सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है।

इस अवसर पर कर्मचारी व नेता सहसचिव मांगे राम तिगरा, कोषाध्यक्ष सतीश राणा, ब्लॉक प्रधान जोत सिंह रावत, अग्निशमन से जिला प्रधान गुलशन भारद्वाज, जिला सचिव तरसेम चंद, पब्लिक हेल्थ से चेयरमैन नरेंद्र काम्बोज, अशोक कुमार, प्रेम प्रकाश वर्मा, काला, संजीव चमरोड़ी व पवन कुमार आदि उपस्थित थे।

कर्मचारियों की यह हैं मांगे : 

1. नौकरी से हटाए गए सभी विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं बहाल की जाए।
2. ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मियों को सीधे विभागों के पे-रोल पर लिया जाए। रेगुलराइजेशन की नीति बनाकर सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए। पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए।
3. एन.पी.एस. को खत्म कर पुरानी पेंशन नीति बहाल की जाए।
4. डीए /एलटीसी पर से रोक हटाई जाए। रोके गए डीए के बकाया का भुगतान किया जाए। वेतन व पेंशन का भुगतान हर मास की पहली तारीख को सुनिश्चित किया जाए।
5. प्री-मेच्योर रिटायरमेंट के आदेश वापिस लिए जाएं। प्रमोशन व एसीपी में टेस्ट की शर्त का प्रस्ताव रद्द किया जाए।
6. आन-लाइन ट्रांसफर पालिसी की समीक्षा की जाए। विभागीय संगठनों के सुझाव शामिल किए जाए।
7. एक्स-ग्रेसिया रोजगार नीति में लगाई गई सभी शर्ते हटाई जाएं।
8. ए.सी.पी. की सेवा के बाद प्रमोशनल पद का दिया जाए।
9. पंजाब के समान वेतनमान के आधार पर लिपिक को पे-मेट्रिकस लेवल-6 में 35400/- वेतन दिया जाए।
10. छठे व सातवें वेतन आयोग की ग्रेड पे व एसीपी की विसंगतियों को दूर किया जाए।
11. पुलिस की तर्ज पर जोखिम भरी ड्यूटी के बदले पांच हजार रुपए प्रति माह विशेष भत्ता दिया जाए।
12. 10 साल की बजाय 5 साल के बाद वेतन आयोग का गठन कर सिफारिशों को लागू किया जाए।
13. एच.आर.एम.एस. के माध्यम से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर हमला बंद किया जाए।
14. मॉडल संस्कृति स्कूल खोलने की बजाए कामन स्कूल सिस्टम को मजबूत किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति रद्द की जाए।
15. शिक्षा, स्वास्थ्य, जनस्वास्थ्य, परिवहन, बिजली सहित सभी सार्वजनिक सेवाओं के ढांचे को मजबूत किया जाए एवं निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
16. वर्कलोड अनुसार नए पद सृजित कर नियमित भर्ती से भरे जाए। ग्रुप डी में अन्य केटेगरी की तरह सफाई कर्मचारी / सीवर मेन की भी नियमित भर्ती की जाए। आरक्षित श्रेणियों का बैकलॉग विशेष अभियान चलाकर पूरा किया जाए।
17. नियमित भर्ती के नियमों की समीक्षा करते हुए आर्थिक पैमाने पर कर्मचारियों के आश्रितों से भेदभाव खत्म किया जाए। पूर्व की भांति उच्च शिक्षा के अंकों के आधार पर मेरिट बनाई जाए।
18. समयबद्ध पदौन्नति की जाए। इसके लिए रोस्टर अनुसार ही वरिष्ठता सूचि तैयार की जाए।
19. श्रम कानूनों में कार्पोरेट्स के हक में बनाए गए लेबर कोड को रद्द किया जाए।
20. जनतांत्रिक अधिकारों को बहाल किया जाए।
21. मेडिकल क्लेम में आश्रित की आय 3500 से बढ़ाकर 10000 रुपए मासिक की जाए।

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