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#यमुनानगर_हलचल। यमुनानगर प्रकृति की अकूत दौलत और आध्‍यात्मिकता संजोय हरियाणा राज्य का एक ज़िला है यमुनानगर। एशिया की प्रसिद्ध शुगर मिल की स्थापना सन 1933 में इसी जिले में की गई थी। सन 1929 में स्थापित बल्लारपुर पेपर मिल की स्थापना, सन 1938 में स्थापित भारत स्टार्च केमिकल लिमिटेड की स्थापना, सन 1952 में स्थापित कैरिज तथा वैगन वर्कशॉप / जगाधरी वर्कशॉप, 1969 में स्‍थापित हरियाणा डिस्टिलरी और सन 1973 में स्थापित यमुना गैस लिमिटेड भी यमुनानगर जिले में है। यहां पर चीनी, मशीनी पुर्जे, शराब, स्टील व एल्यूमीनियम, पीतल – तांबे आदि धातुओं के बर्तन बनते हैं।

यमुनानगर सन 1989 को अस्तित्व में आया। इसका क्षेत्रफल 1756 वर्ग किलोमीटर के साथ है, जिसमें 473 पंचायतों, 655 राजस्व गांवों, 4 तहसील (जगाधरी, छछरौली, बिलासपुर, रादौर) और 3 उप-तहसील (सढ़ौरा, सरस्वती नगर, प्रताप नगर) मौजूद हैं। इससे पहले जिला यमुना नगर अब्दुल्लापुर से जाना जाता था। जिला यमुना नगर के बड़े हिस्से शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में आते हैं | शहर से लगभग 30-40 किलोमीटर दूर शिवालिक पर्वत श्रेणियां आरंभ हो जाती हैं। यह जिला पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बेशुमार हैं । यहाँ पर वैदिक कालीन मंदिरों के साक्ष्य भी हैं। यमुना नदी, पथराला, बोली और सोम नदी जिले से होकर बहती है। प्रदेश का पहला हाथी पुनर्वास एवं अनुसंधान केंद्र बनसंतौर में है। सरस्वती-सोम्ब प्रयाग जिस स्थान को कहा जाता है वह आदिबद्री भी यहीं है। गन्ना, गेहूं और चावल इसकी मुख्य फसलें हैं| अच्छे सामर्थ्य और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए किसान पोपलर पेड़ों के बीज भी इस्तेमाल में लाते है। औद्योगिक पर्यावरण प्रशंसनीय है| यह एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर है | यमुना नगर जिला, पूर्व में हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा, पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा,और दक्षिण पूर्व में अंबाला जिले द्वारा, दक्षिणी उत्तर में करनाल और कुरुक्षेत्र के जिलों द्वारा घिरा है। यमुनानगर जिला 274 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
20 कोस में हैं 11 स्‍वयंभू शिवलिंग, दर्शन से मिलता है पुण्‍य क्षेत्र में स्थित इन स्‍वयंभू शिवलिंगाें की प्राचीन समय से देश-विदेश में ख्याति है। इनके दर्शनों के लिए श्रद्धालु बरबस ही खिंचे चले आते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक दिन में इनके दर्शन करने वाला बहुत भाग्यशाली होता है। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर के पुजारी जी का कहना है कि ये सभी धार्मिक स्थान एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं हैं। करीब 20 कोस के क्षेत्र में सभी पड़ते हैं। उनका कहना है कि हर श्रद्धालु एक दिन में इनके दर्शन नहीं कर पाता। कोई न कोई वजह बनती है कि दर्शन एक-दो धाम रह जाएगा। लेकिन जिसे एक ही दिन में सभी के दर्शन होते हैं वह बहुत सौभाग्‍यशाली होता है। इनके नाम हैं  श्री कालेश्वर महादेव मठ कालेसर, श्री केदारनाथ प्राचीन मंदिर आदी बद्री, श्री पृथेश्वर मंदिर पृथीपुर, श्री बनसंतूर प्राचीन मंदिर, श्री सिंधेश्वर महादेव मंदिर संधाय, मखौर स्थित प्राचीन शिव मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर भाटली, श्री गौरी शंकर प्राचीन मंदिर जगाधरी, श्री पातालेश्वर महादेव पीठ दयालगढ़ बुडि़या, प्राचीन शिव मंदिर जंगल फतेहपुर, सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर स्थित स्वरूपेश्वर महादेव मंदिर।

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आदि बद्री धाम : शिवालिक पर्वतमाला में यह स्थान है, जहां से सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।

यमुनानगर पहुंचने का रास्‍ता (मैप) : (एयर) चंडीगढ़ इंटरनैशनल ऐयरपोर्ट (106 किमी) पर उतरने के बाद टैक्‍सी या बस से पहुंचा जा सकता है। (रेलवे) यमुनानगर-जगाधरी रेलवे स्‍टेशन एनएच 73 और स्‍टेट हाईवे 6 पर अंबाला-सहारनपुर रूट पर चलने वाली काफी ट्रेन्‍स हैं। (बस) अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, चंडीगढ़, नारायणगढ़, पांवटा साहिब, दिल्‍ली, सहारनपुर और काफी जगह से बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। यमुनानगर बस इंक्‍वायरी के लिए डायल करें 01732-227717. – यमुनानगर हलचल।