Home Lohgarh Sahib, Bilaspur

Lohgarh Sahib, Bilaspur

लौहगढ़ : हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बिलासपुर तहसील में पहाड़ों के बीच बसे लोहगढ़ किला बहुत बड़ा था। यह फोर्ट 7 हजार एकड़ में फैला है। इसे बनाने में 60 से 70 साल लगे थे। बाबा बंदा सिंह बहादुर ने 1710 में सरहिंद जीतने के बाद इस किला लोहगढ़ को सिखों की पहली राजधानी बनाया था। इस किले के अंदर लगभग 200 छोटे किले मौजूद हैं। ये किले एक से दूसरे का रणनीतिक संबंध है। यदि दुश्मन एक किले को जीत लेता तो वह दूसरे किले के अंदर घुस नहीं सकता था। हर किले कि रक्षा प्रणाली की दीवारें तीन भाग में हैं। मिले अवशेषों से लगता है कि हर पहाड़ी पर गांव बसता था। ऐसी सैकड़ों पहाड़ियां है। एरिया के हिसाब से ये सबसे बड़ा किला है और इसे महाकिला कह सकते है।

Lohgarh-Fort-Baba-Banda-Singh-Bahadur-Lohgarh-First-Sikh-Capital-Bilaspur-Mahakila-Yamunanagar-Places-in-Yamunanagar-to-Visit-Haryana-Tourism-bilaspur-yamunanagar-haryana
इतिहासकार यहां का इतिहास खंगालने में जुटे हैं। बाबा बंदा सिंह बहादुर हैरिटेज डेवलेपमेंट फाउंडेशन यमुनानगर के शोध में इंग्लैंड के इतिहासकार हरजिंद्र सिंह दलगीर ने पाया कि अभी तक मोर्चे, कुएं, आटा पीसने की चक्कियां, घड़े के टूटे अवशेष और तेल निकालने के कोल्लू भारी मात्रा में मिले है। जंगल में कुएं बने हैं। इन अवशेषों से यह प्रतीत होता है कि लोहगढ़ के अंदर बहुत बड़ा शहर बसता था। गुरुनानक देव और गुरु गोबिंद सिंह के सिक्के चलाए बाबा बंदा सिंह बहादुर ने लोहगढ़ की विरासत संभालते हुए गुरु नानकदेव और गुरु गोबिंद सिंह के नाम से सिक्का जारी। सिक्के के पीछे भारत में लोहगढ़ को खालसा तख्त की उपाधि दी गई। कुछ सिक्के आज भी लोहगढ़ गुरुद्वारे में मौजूद हैं। शोध में सामने आया कि गुरु हरगोविंद साहिब की ग्वालियर के किले से रिहाई के बाद 1626 में बिलासपुर, नाहन हिंदुवार का राजा गुरु साहिब से मिलने के लिए अमृतसर गए थे और वहीं से इस किले के निर्माण की इन चार व्यक्तियों द्वारा रुप रेखा बनाई गई। मौजूदा लोहगढ़, नाहन के राजा के क्षेत्र में बनाया गया।
गुरु हरराय साहब (1645-1666) 17 साल की गुरु गद्दी के कार्यकाल में से 13 साल लोहगढ़ यमुनानगर में रहे। उनके दोनों पुत्र रामराय गुरु हरकृष्ण साहब बेटी स्वरूप कौर भी यहीं लोहगढ़ किले में पैदा हुए। गुरु तेग बहादुर साहब भी 1644 से लेकर 1656 तक यहां पर मौजूद रहे और उनके साथी भाई लक्की राय बंजारा, भाई मक्खन शाह लबाना ने किला लोहगढ़ के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई। वे उस समय के भारत के बड़े व्यवसायी थे। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने लोहगढ़ किले से लगभग 10 किलोमीटर दूर पौंटा साहिब में 4 साल गुजरे और लोहगढ़ में स्थित सिख फौज को मुख्य ट्रेनिंग दी। इसके बाद बाबा बंदा सिंह बहादुर द्वारा 1710 में लोहगढ़ किले का सिख कौम की राजधानी करार दिया गया। –