Yamunanagar Hulchul : Padma Bhushan Darshan Lal Jain died in Yamunanagar.
अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सहित अन्य हस्तियां भी रही मौजूद
यमुनानगर हलचल। सामाजिक कार्यों के लिए पद्मभूषण सम्मान पाने वाले समाजसेवी दर्शन लाल जैन का सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ सहित कई अन्य मंत्रियों व पूर्व मंत्रियों ने शोक प्रकट करते हुए उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया।
इन नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि दर्शन लाल जैन की कमी सदा ही देश को खलती रहेगी। वे सच्चे देश भक्त थे। कई बार उन्हें राज्यपाल, राज्यसभा सदस्य यहां तक कि उप राष्ट्रपति बनने तक के लिए भी कहा गया। लेकिन उन्होंने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया और सदा ही बिना राजनीति में आए देश सेवा करने की ठानी।
उन्हें सामाजिक कार्यों में उनके योगदान के लिए 2019 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म 12 दिसंबर 1927 को हुआ था। 1944 में संघ के संपर्क में आए तथा 1946 में प्रचारक के रूप में संघ कार्य करने का निश्चय किया। हालांकि स्वास्थ्य कारणों से 1952 में प्रचारक जीवन से वापिस आना पड़ा। उन्हें युवा और आर्थिक रूप से परेशान बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जब यमुनानगर आए थे तब उन्होंने सार्वजनिक मंच पर दर्शन लाल जैन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। समाज सेवा के कामों में आगे रहने वाले जैन का सक्रिय राजनीति में शामिल होने की ओर कभी झुकाव नहीं रहा। 1954 में जनसंघ द्वारा एम.एल.सी. सुनिश्चित सीट के लिए मिले प्रस्ताव को उन्होंने अस्वीकार कर दिया था।
दर्शन लाल जैन ने सरस्वती विद्या मंदिर, जगाधरी (1954), डी.ए.वी. कॉलेज फॉर गर्ल्स यमुनानगर, भारत विकास परिषद हरियाणा, विवेकानंद रॉक मैमोरियल सोसाइटी, वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा, हिंदू शिक्षा समिति हरियाणा, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय कुरुक्षेत्र और नंद लाल गीता विद्या मंदिर अंबाला (1997) सहित हरियाणा के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की।
जिस प्रकार सतयुग में भागीरथ जी ने कठिन तप और परिश्रम करने के बाद गंगाजी को नदी के रूप में धरती पर अवतरित किया था, ठीक उसी तर्ज पर आज कलियुग में दर्शन लाल जैन के भरसक प्रयासों से ही विलुप्त सरस्वती नदी का प्रवाह पुन: सम्भव हुआ।
यह उनकी कठिन मेहनत एवं परिश्रम का ही परिणाम है कि उनकी निशानदेही पर सरकार ने समय के साथ-साथ लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी की धारा को यमुनानगर के मुगलवाली गांव एवं आदिबद्री से खोज निकाला। दर्शनलाल जैन को 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए भूषण सम्मान दिया गया।