भगवान की भक्ति मनुष्य को देती है सब कुछ- नरेन्द्र जैन
यमुनानगर। श्री पाश्र्वनाथ दिग बर जैन मंदिर ब्राह्मण चौंक जगाधरी के प्रांगण में भागवान श्री आदीनाथ जी के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर 24 घण्टें का भक्तामर महाविधान पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रवज्जलन कर व कलश स्थापित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज के प्रधान नरेन्द्र जैन ने की तथा संचालन मुज्ज फर नगर से आये पं. मधुवन जी शास्त्री ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाज रत्न दर्शनलाल जैन व व्रति पुरुषोत्तम दास जैन उपस्थित रहे व विशिष्ठ अतिथि के रूप में दिनेश जैन व सुशील ने की शिरकत की। कार्यक्रम में प्रारंभ में अभिषेक, शांतिधारा व आरती की गई तत्पश्चात 24 घण्टे का भक्तामर विधान पाठ प्रारंभ किया। नरेन्द्र जैन ने संबोधित करते हुये कहा कि भक्तामर विधान एक अनोखी विधा है, जिसको भिन्न-भिन्न रंग रूप में पाया जाता है। इसके अध्ययन व पाठ से इसका चमत्कार देखने को मिलता है। भक्तामर को पाठ ध्यान व भक्ति से करने पर कष्टों का निवारण होता है, दुखों की समाप्ती होती है। इसका प्रभाव सभी कष्टों को मिटा जीवन को सुखमय व शांतिमय बनाता है। भगवान किसी को कुछ नहीं देते, परंतु भगवान की भक्ति मनुष्य को सब कुछ दे देती है। पुण्य रूपी सुगंध से भक्तों के मन खिल जाते है। आत्मा रूपी वृक्ष से लिपटे हुये कर्म रूपी बंधन खुल जाते है। शास्त्री जी ने कहा कि आदिनाथ स्त्रोत जो भक्ति रस का अद्वितीय महाकाव्य है उसकी रचना उस समय हुई जब राजा भोज के दरबार में कवि कालीदास तथा वररूची ने सा प्रदायिकता वश आचार्य प्रवर मानतंगु को राजा की आज्ञानुसार पकड़वाकर 48 तालों के अंदर कोठरियों में बंद करवा दिया उस समय आचार्य श्री ने आदिनाथ स्त्रोत की रचना की। उन्होंने कहा कि स्त्रोत के प्रभाव से ताले व जंजीरे अपने आप टूट गये और वह मुक्त हो गए। अंत में राजा ने हार स्वीकार कर आचार्य से क्षमा मांगी। आचार्य श्री से प्रभावित होकर जैन धर्म अपना लिया। पाठ के उपरांत आरती की गई। पाठ के अंत में आये हुये अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर स मानित किया गया। कार्यक्रम के उपरांत लंगर लगाया गया जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर गौरव जैन, दीपक जैन, अनिल जैन, मनोज जैन, मुकेश जैन व जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति, महिलाये तथा बच्चे उपस्थित रहे।