यमुनानगर(रादौर)। सोम व पथराला नदी मे आए उफान से यमुना नदी का जलस्तर बढ गया। इससे नदी में जगह जगह भूमि कटाव हो गया। गौरतलब है यमुना नदी की बाढ से हर वर्ष जठलाना क्षेत्र के बहुत से किसानों की जमीन यमुना नदी में समा चुकी है। राजस्व विभाग के रिकार्ड में कई कई एकड के मालिक होने के बावजूद क्षेत्र के किसान भूमिहीन बनकर रह गए है। क्षेत्र के किसान अपनी भूमि को बाढों की मार से बचाने के लिए दशको से यमुना नदी पर पक्की पटरी व पुल बनाने की मांग करते आ रहे है। पुल बनाने की घोषणा तो सरकार ने कर दी है। लेकिन आज तक सरकार ने यमुनानदी की पटरी को पक्का करने की घोषणा नहीं की है। जिससे किसानों में भारी रोष है। मात्र चुनाव के दिनों में जठलाना क्षेत्र के लोगों को हर राजनीतिक दल के नेता यमुनानदी पर पुल बनाने और पटरी बनाने के बडे बडे आश्वासन देकर उनके वोट हथिया ले जाते है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई इस मुददे पर चर्चा तक नहीं करना चाहता। जिसका खामियाजा किसानों को अपनी बेशकिमती भुमि यमुनानदी में समा जाने पर चुकाना पडता है। पूर्व जिला परिषद सदस्य शिवकुमार संधाला, पूर्व सरपंच संधाला डॉ सुखबीरसिंह, मायाराम, मास्टर मलखानसिंह आदि ने बताया कि दशकों से जठलाना क्षेत्र के लगभग दस गांव उन्हेडी, पौबारी, जठलाना, मारूपुर, संधाला, संधाली,गुमथला, लालछप्पर, नकुंभ, बागवाली आदि गांवों के लोग बाढों की मार झेलते आ रहे है। यमुनानदी पर कोई पटरी न होने के कारण यमुनानदी की बाढ का पानी किसानों की भुमि को फसलों सहित अपने साथ बहा ले जाता है। बाढ का पानी उतरने के बाद किसानों की भुमि पर रेत के कई कई फुट टीले लग जाते है। जिससे किसान उपरोक्त रेतिली भुमि पर खेती नहीं कर पाते। यमुनानदी हर वर्ष भुमि कटाव करती आ रही है। जिससे यमुनानदी किनारे बसे गांव लालछप्पर, संधाला व गुमथला का आस्तित्व खतरे में पडता जा रहा है। यमुनानदी इन गांवों के करीब आती जा रही है। आने वाले समय में इन गांवों के लोगों को भी करहेडा व अन्य बेचराग हुए गांव की तरह दूसरी जगह बसना पड सकता है। इसलिए किसान हर पार्टी की सरकार से यमुनानदी पर पुल बनाने व यमुनानदी के किनारों को पक्का कर पटरी बनाने की मांग करते आ रहे है। किसानों ने बताया कि यमुनानदी किनारे बसे गांव के लोगों की अधिकतर जमीन यमुनानदी पार है। यमुना में बाढ आने पर वह अपने खेतों में भी नहीं जा सकते। वहीं बाढ के दिनों में उन्हें यमुनानदी पार स्थित अपने खेतों में उत्तरप्रदेश क े रास्तें से लगभग 50 किलोमीटर का सफर तय करके जाना पडता है। जिससे उनके धन व समय की बर्बादी होती है। यमुना की बाढ का पानी यमुना के दोनों किनारों पर मार करता है। इससे दोनों साईड की भुमि का कटाव होता है। भुमि कटाव के कारण यमुना का आकार हर वर्ष चोैडा होता जा रहा है। क्षेत्र के किसानों की मांग है कि सरकार अपनी घोषणा के अनुसार जल्द से जल्द यमुनानदी पर पुल बनाने का कार्य शुरू करें। वहीं स्थानीय विधायक श्याम सिंह राणा ने बताया कि मानसून के बाद यमुनानदी का जल स्तर कम होने पर मुख्यमंत्री से सिंतबर या अक्टूबर महीने में यमुनानदी पर बनाए जाने वाले पुल का शिलान्यास करवाया जाएगा। जिसके लिए सभी तैयारिया पूरी की जा रही है। यमुना नदी पर बनने वाला पुल क्षेत्र के लोगों की जीवन रेखा साबित होगा और इससे क्षेत्र का विकास होगा

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