दादा साहब फाल्के एवार्ड से सम्मानित फिल्म निर्माता वेद गांधी की बरसी पर उधमगढ़ के गुरुद्वारा साहिब में पाठ
फिल्म निर्माता जेपी दत्ता के साथ मिलकर बनाई थी यतीम, बार्डर, क्षत्रिय व रिफ्यूजी जैसी मशहूर फिल्में
यमुनानगर (साढौरा)। दादा साहब फाल्के एवार्ड से सम्मानित फिल्म निर्माता वेद गांधी की पहली बरसी पर उनके पैतृक गांव उधमगढ़ के गुरुद्वारा साहिब में पाठ का आयोजन किया गया। उनकी पत्नि उर्मिला, बेटा विनय व बेटी विजेता विशेष रुप से मुंबई से पहुंचे हुए थे। इस मौके पर उनके भाई दर्शन गांधी, जगदीश गांधी व मदन नामदेव भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि 11 जुलाई 2017 को अचानक ही हार्ट अटैक होने से वेद गांधी का 66 साल की उम्र में मुंबई में देहांत हो गया था। उनकी इच्छा के अनुसार 13 जुलाई 2017 को उनके पैतृक गांव उधमगढ़ में गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
1970 में घर से भागकर मुम्बई गए वेद गांधी ने वहां बतौर एकस्ट्रा कलाकार अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत करके फिल्म निर्माता बनने तक की ऊंचाईयों को पाया था। मशहुर फिल्म निर्माता जेपी दत्ता के साथ मिलकर उन्होंने यतीम, बार्डर, क्षत्रिय व रिफ्यूजी जैसी मशहुर फिल्में र बनाई। इसके बाद बतौर फिल्म निर्माता उन्होंने 2002 में शहीद भगत सिंह के नाम पर फिल्म बनाने शुरू की। इसकी अधिकतर शूटिंग उन्होंने अपने पैतृक गांव उधमगढ़ में ही की। फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान को देखते हुए 2003 में उन्हें प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया। इससे पूर्व 2001 में उन्हें फिल्म निर्माण संघ द्वारा लाईफ टाईम एचिवमैंट एवार्ड भी मिला था।
बेटा-बेटी ने बाप के सपने को पूरा करने की ठानी
वेद गांधी के बेटे विनय ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए मुंबई में विज्ञापन फिल्मों के निर्माण से अपने कैरियर की शुरुआत की है। जबकि बेटी विजेता एक ई शॉपींग कंपनी का संचालन कर रही हैं। विनय व विजेता ने बताया कि उनके पिता मरते दम तक अपने ड्रीम प्रोजैक्ट फिल्म शहीद भगत सिंह को रिलीज करने के लिए प्रयत्नशील रहे। देहांत से पूर्व उसका म्यूजिक तो रिलीज हो गया था। अब दोनों भाई-बहन अपने पिता के ड्रीम प्रोजैक्ट को साकार करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जोकि जल्दी ही पूरा होने की संभावना है।
रिपोर्ट : कुलदीप हर्ष