चल अचल सम्पत्ति के ब्योरे मांगने से फिर तिलमिलाए अध्यापक

यमुनानगर। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ सम्बन्धित कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय प्रधान प्रदीप सरीन व प्रांतीय चेयरमेन कुलभूषण शर्मा ने एक बैठक में कहा कि अध्यापकों से उनकी चल अचल संपत्ति का लेख जोखा मांग कर सरकार आखिर साबित क्या करना चाहती है? अध्यापक को वेतन के सिवाय क्या आमदनी हो सकती है जो सरकार देखना चाहती है उनका सारा पैसा आयकर चुकाकर मिलता है वह इतना धन एकत्र ही नही कर पाता कि वो विभिन्न अचल सम्पत्तियों का संग्रह कर सके। अपने लिए एक अदद मकान बनाने हेतु तो अध्यापक को तरह तरह के ऋण लेने पड़ते हैं। उन ऋणों को चुकाते चुकाते ही वो रिटायर हो जाता है। इसके अलावा अध्यापक द्वारा लिए गए अन्य ऋणों का विवरण और भी लंबा होता है।
संघ के प्रांतीय प्रवक्ता रविन्द्र राणा ने बताया कि अध्यापकों से नक़दी समान, गहने, घर, भूखंड, गाड़ी व दहेज तक की जानकारी मांगी गई है। जिसके लिए विभाग ने चल औऱ अचल संपत्ति के लिए अलग-अलग प्रपत्र जारी किए है। जो कि उनके सम्मान पर चोट है।
संघ के प्रांतीय सचिव संजीव मंदौला ने कहा कि इन दिनों में सरकार को कर्मचारी हित में काम करके उनका दिल जीतना चाहिए न कि ऐसे तुगलकी फरमान जारी करके कर्मचारियों को अपने विरुद्ध कर लेना चाहिये। कईं बार सरकार को पता भी नही होता और अधिकारी तथाकथित तुगलकी फरमान जारी करके सरकार को बदनाम करने का भी प्रयास करते हैं।
संघ के वरिष्ठ उपप्रधान दिलबाग सिंह अहलावत ने कहा कि ये क्या तुक है कि अध्यापक अपने ससुराल से मिले दहेज या सम्पति का ब्यौरा दे अब किसी की शादी को बीस पच्चीस वर्ष हो चुके हैं तो क्या उसे याद पड़ा है कि उसको क्या मिला था क्या नही?
संघ के उपप्रधान साहिब सिंह चौहान, उपमहासचिव डॉ रामनिवास शर्मा  ने कहा कि निदेशालय का बात बात पर वेतन रोक लेने की धमकी से काम लेना लोकतंत्र के खिलाफ बात है। सरकार को लोकप्रिय बनने के काम करने चाहिये, समाज के सभी वर्गों को खुश रखने का प्रयास करना चाहिये, उन में कर्मचारी तो समाज व सरकार दोनों का ही महत्त्वपूर्ण अंग हैं। अब अगर जल्द ही इस फरमान को तुरंत प्रभाव से वापिस न लिया गया तो आक्रोशित अध्यापक इसका बायकॉट करेंंगे।
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