Yamunanagar Hulchul : Surya Kund Mandir, Amadalpur (Buria), Yamunanagar
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ऐतिहासिक प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर जहां हर रोज जल बदलता है 3 रंग, स्नान करने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग
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श्री राम दरबार की दीवारों पर शीशे में जडि़त है रामायण के संपूर्ण सातों कांड, उद्देश्य आने वाली पीढ़ी कर सके अनुसरण
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हवन यज्ञ में हर रोज डाली जाती हैं 1600 आहूतियां, मंदिर में पत्थरी के मरीज को दी जाती है नि:शुल्क दवाई
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सिंधुवन था यह इलाका, अज्ञातवास के दौरान रुके पांडवों ने की थी यहां पूजा
ऐतिहासिक प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर जिले के साथ-साथ प्रदेश का गौरव है। मंदिर जहां अपने आप में मिसाल है वहीं मंदिर प्रबंधन लोगों की सेवा में लगा है। देश में कुल 68 सूर्यदेव मंदिर हैं, उनमें अमादलपुर और उड़ीसा का कोणार्क मंदिर सबसे बड़ा है।
मंदिर इतिहास की बात करें तो यहां लगे बोर्ड के मुताबिक त्रेता युग के राजा मानधाता के सूर्यवंशी राजवंश की 126वीं पीढ़ी के राजा सुमित्र ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
यहां पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता। न ही यहां पर ग्रहण के समय अंधेरा होता है पुजारी के अनुसार सूर्यग्रहण के समय मन्दिर के प्रांगण में सूर्य कुंड इस प्रकार से बना है कि सूर्य की किरणें इस प्रकार पड़ती हैं कि वो कुंड मे ही समा जाती हैं।
कुंड के पानी की बात करें तो दिन में यह सूर्य देव की कृपा से लाल, हरा व पीले रंग में परिवर्तित होता है। कुंड में नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाता हैं। जो बच्चे कमजोर हैं उनको स्नान कराने से भी कमजोरी दूर होती है।
यहां पर वर्षों से 24 घंटे श्री राम चरित मानस का पाठ हो रहा है। इसकी शुरुआत श्री श्री 1008 श्री अखिलानंद ब्रह्मचारी जी महाराज ने की थी।
यहां पर लक्ष्मी नारायण मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर व राम दरबार है। हर रोज सुबह 5 बजे और शाम साढे 7 और साढे 8 आरती का आयोजन किया जाता है। हर माह की पूर्णमासी के बाद पडऩे वाले शनिवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाया जाता है।
गुरु पुर्णिमा से अगले 2 माह ते चातुर मास में दंडी स्वामी रुकते हैं। उनकी पूरी तरह की देखभाल मंदिर प्रबंधन करता है। इसके अलावा यदि कोई श्रद्धालु बाहर से आ रहा है तो उसके लिए खाने, पीने और ठहरने की व्यवस्था भी है।
अज्ञातवास के दौरान रुके थे पांडव
यमुनानगर जिले का गांव अमादलपुर प्राचीन समय में सिंधुवन नाम से भी जाना जाता था। आयोजक एवं सेवादारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के वंशज राजा सुमित्र ने कराया था। सूर्य ग्रहण के मौके पर भी यह मन्दिर खुला होता है।
प्राचीन समय में आदि गुरु शंकराचार्य जब आदिबद्री मंदिर का जीर्णोद्धार करके वापस लौट रहे थे, तो उन्होंने इस मंदिर में विश्राम किया था। ऐसी मान्यता है कि एक बार अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण जी वन विहार करते हुए यहां यमुना किनारे आए थे।
अज्ञातवास के दौरान पांडव भी यहां रुके थे। महाभारत के युद्ध से पहले वीर अर्जुन ने श्री कृष्ण की प्रेरणा से पाशुपात्र की प्राप्ति के लिए इस जगह पर भगवान शंकर की तपस्या की थी।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि युधिष्ठिर यक्ष संवाद इसी कुंड पर हुआ। इस दौरान अर्जुन भगवान शिव से पाशुपत लेने कैलाश गए। ऐसे में यह स्थान और भी ऐतिहासिक है। अमावस्या व पितृ पक्ष में इस कुंड में स्नान व पिंड दान करने का बहुत पुण्य बताया गया है।
हुआ था राजसूय यज्ञ
भागवत पुराण के अनुसार त्रेता युग के मध्य सूर्यवंश के राजा मानधाता ने शोभरी ऋषि को आचार्य बनाकर यमुना नदी किनारे राजसूय यज्ञ कराया था। यहां जमीन खुदवाकर यज्ञ के लिए पवित्र जल भरवाया था। बाद में इसे सूर्यकुंड की संज्ञा दी गई।
पुजारी का कहना है कि दूसरे धार्मिक स्थलों की तरह सूर्य कुंड मंदिर भी विदेशी आक्रमणकारियों से बचा नहीं रहा। औरंगजेब के समय आक्रमणकारी इस मंदिर में स्थापित सूर्य नारायण भगवान की अष्ट धातु की विशालकाय मूर्ति अपने साथ ले गये थे।
हर रोज हवन में डाली जाती है 1600 आहूतियां
मंदिर में हर रोज हवन यज्ञ होता है। यहां पर हर रोज करीब 1600 आहूतियां यज्ञशाला में डाली जाती है। यहां पर सेवा कर रहे पुजारी सुरेश, गांव के राणा ध्यान सिंह, महात्मा योगानंद, जयपाल सिंह, ऋषिपाल व एडवोकेट दिनेश सिंह चौहान बताते हैं कि मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है।
मंदिर के कारण पूरे जिले और देश में इस गांव का नाम रोशन है। गांव के साथ-साथ जिला और देश प्रदेश के लोग यहां माथा टेकने के लिए आते हैं। मंदिर का सारा कार्यभार दानी सज्जनों के सहयोग से चल रहा है। इस मंदिर को विकसित करने में स्वामी अखिलानंद ब्रह्मचारी जी का विशेष योगदान है। वे बह्मलीन हो गए हैं।
राम चरित मानस के सातों कांड जड़े हैं शीशे में
इसी मंदिर में श्री राम दरबार है। जहां दीवारों पर श्री राम चरित मानस के सातों कांड पेंट से लिखे गए हैं और उन पर शीशा लगा दिया गया है। यह प्रयास इसलिए है कि आने वाली पीढ़ी श्री राम चरित मानस का अनुसरण कर सके। भगवान श्री राम के बनाए रास्ते पर चल सके। दूर दराज से आने वाले लोग इसे देखते ही देखते रह जाते हैं।
हर रोज दी जाती है पत्थरी की नि:शुल्क दवाई
पुजारी सुरेश ने बताया कि मंदिर में हर रोज पत्थरी की नि:शुल्क दवाई दी जाती है। इस दवाई में मुख्यत: नींबू का प्रयोग होता है। जिन लोगों को गुर्दे की पत्थरी है उन्हें हर रोज सुबह खाली पेट एक ढक्कन पीना है। जिन लोगों को पित्ते की पत्थरी है उन्हें 3 माह तक एक ढक्कन रोज सुबह पीना है। उनके अनुसार कई लोग ठीक हुए हैं जो अकसर आकर यहां उन्हें बताते हैं।
लाखों का खर्च हर माह
यहां सेवा कर रहे राणा ध्यान सिंह, जयपाल सिंह व ऋषिपाल बताते हैं कि मंदिर का खर्च हर माह लाखों में है। पुजारी सहित 5 ब्राह्मण वेतन पर रखे गए हैं। जो 24 घंटे अखंड रामायण पाठ में हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा मंदिर में गऊशाला है।
करीब 56 गाय इस गऊशाला में हैं। इसके अलावा गऊशाला की देखभाल के लिए आदमी रखे हुए हैं। एक ड्राईवर और रसोई की देखभाल के लिए भी कर्मी लगाया गया है। इसके अलावा लंगर में प्रयोग होने वाला राशन व गऊशाला में गऊओं के लिए चारा सहित अन्य खर्च है। कुल मिलाकर हर माह डेढ लाख का खर्च है।
सेवादारों का कहना है कि फिलहाल आय का यहां कोई साधन नहीं है। दानी सज्जनों के सहयोग से ही मंदिर में देखभाल हो पा रही है। इनका कहना है कि जिला प्रशासन और दानी सज्जन मंदिर में किसी भी तरह अपना सहयोग दे सकते हैं।
कैसे पहुंचें मंदिर
आप कहीं से भी ट्रेन आ रहे हैं तो आपको हरियाणा प्रदेश के जिला यमुनानगर के यमुनानगर-जगाधरी रेलवे स्टेशन पर और यदि अपने वाहन या बस में आ रहे हैं तो आपको यमुनानगर बस स्टैंड या जगाधरी बस स्टैंड पहुंचना होगा। जहां से आपको महाराजा अग्रसेन चौक जगाधरी होते हुए बुडिय़ा चौक आना है।
यहां बुडिय़ा चौक से सीधे अमादलपुर रोड पर चलना है जहां 5 किलोमीटर चलने पर ही रोड़ पर सूर्यकुंड मंदिर पहुंच जाएंगे। अगर आप पाँवटा साहिब हिमाचल प्रदेश से आ रहे हैं तो आपको सीधा पाँवटा साहिब यमुनानगर हाईवे पर चलते हुए बुडि़या पहुंचना होगा।
लक्ष्मी नारायण मंदिर। Surya Kund Mandir Amadalpur (Buria), Jagadhri, District Yamunanagar
अखंड रामायण पाठ। Surya Kund Mandir Amadalpur (Buria), Jagadhri, District Yamunanagar
Yamunanagar : Surya Kund Mandir Amadalpur (Buria), Jagadhri, District Yamunanagar
Yamunanagar : Surya Kund Mandir Amadalpur (Buria), Jagadhri, District Yamunanagar
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