लगभग 50 से 60 हजार रूपये की कीमत का स्ट्रोक का टीका जिला नागरिक अस्पताल यमुनानगर में मुफ्त में उपलब्ध
Yamunanagar Hulchul : स्वास्थ्य विभाग यमुनानगर के मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल यमुनानगर में सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया के अध्यक्षता मे एन.सी.डी. कार्यक्रम के तहत राष्टीय स्ट्रोक दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम के अंर्तगत कार्यशाला के दौरान स्ट्रोक क्या है, इसके शुरूआती चरण के बारे, इसके उपचार व इससे बचाव के बारे विस्तृत जानकारी दी गई।
इस अवसर पर कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन के साथ-साथ उप सिविल सर्जन डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. पुनित कालरा, डॉ. वगीष गुटैन व अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने बताया कि मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में अनियमिता होने से स्ट्रोक होता है। व्यक्ति के शरीर में धमनियों के माध्यम से रक्त और पोषक तत्व पूरे शरीर मे वितरित होते हैं।
मस्तिष्क की एक धमनी अवरुद्ध हो जाने या फटने के कारण रक्त की आपूर्ति नही हो पाती है। अत: रक्त न मिलने के कारण मस्तिष्क को आक्सीजन और पोषक तत्व जरूरी मात्रा मे नही मिलते है, जिससे स्ट्रोक होता है। इसके साथ ही उन्होने बताया कि विश्व मे हर दूसरे सैकंड मे कोई न कोई व्यक्ति स्ट्रोक से ग्रस्त होता है तथा हर 6 सैकंड मे एक व्यक्ति की मृत्यु स्ट्रॉक से हो जाती है या फिर जीवन की गुणवता हमेशा के लिए बदल जाती है जिस कारण वह दूसरों पर निर्भर हो जाता है। विकलांग होने की स्थ्तिी मे वह स्वयं को बोझ समझने लगता है।
डॉ. दहिया ने बताया कि 35 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को स्ट्रोक आ सकता है तथा उच्च रक्तचाप, अत्याधिक कोलेस्ट्रोल रहने के कारण, मधुमेह का स्तर कण्ट्रोल न रहने के कारण, अत्याधिक शराब का सेवन करना स्ट्रोक के मुख्य कारण होते हैं।
इसके साथ ही सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने कार्यशाला के दौरान उपििसत सभी अधिकारियो व कर्मचारियो से अपील की कि वह स्ट्रोक से संबधित जानकारी अपने परिवार व समाज तक पहुचाएं, जिससे आमजन इस भयावह बीमारी से अवगत हो सके तथा समय पर स्ट्रोक के मरीज का अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सक से उपचार करायें।
इस अवसर पर फीजिशियन डॉ. नितिन गुप्ता ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा स्ट्रोक से ग्रस्त रोगी को लगने वाला टीका, जो कि लगभग 50 से 60 हजार रूपये की कीमत का है, जिला नागरिक अस्पताल यमुनानगर मे बिलकुल मुफ्त उपलब्ध है, परन्तु इसका सही उपयोग समय पर लगाने से ही होता है।
उन्होंने कहा कि लोग स्ट्रोक से ग्रस्त व्यक्ति को समय से अस्पताल नहीं लाते, जिस कारण समय निकलजाने पर इंजैक्शन भी अपना कार्य नहीं करता। उन्होने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को स्ट्रोक होता है तो मरीज को जितना जल्दी हो सके, अस्पताल मे ले आयें, ताकि उसका समय पर व उचित उपचार किया जा सके। इस अवसर पर चिकित्सा अधिकारी डॉ. नेहा ने बताया कि हमारा दिमाग शरीर की हर एक गतिविधि को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कण्ट्रोल करता है चाहे वह चलना हो, बोलना हो, यहां तक कि सॉस लेना, बी.पी. ओर हार्ट रेट भी हमारे दिमाग से ही कण्ट्रोल होता है।
इसलिए दिमाख को सूचारू रूप से काम करने के लिए निरंतर ब्लड स्पलाई की आवश्यकता होती है। यदि किसी कारणवश इस ब्लड सप्लाई की कमी हो जाए तो ब्रेन टिशू क्षतिग्रस्त हो जाता है जिससे तंत्रिका संबधी विकार विकसित हो जाते है, इसी को स्ट्रोक कहते है। स्ट्रोक एक मैडिकल ऐमरजैसी है।
अत: इसकी जानकारी मैडिकल फिल्ड के हर कर्मचारी को होनी चाहिए चाहे वह नर्स हो, सर्जन हो या वार्ड मे काम करने वाला एक कर्मचारी हो, जिससे वे अस्पताल में आने वाले मरीजों में स्ट्रोक के मरीज की पहचान कर सके व शिघ्र अति शिघ्र उसका उपचार किया जा सके। इस अवसर पर सुशीला, पूजा, बोबेश पंजेटा, प्रियंका, मनिन्दर, नमिता अग्रवाल, अरूण, छाया, अंन्जू, मिथलेष, शिल्पा व दीप्ती के साथ-साथ अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहे।