यमुनानगर हलचल। परशुराम समुदायिक केंद्र गोविंदपुरी में गुरुवार से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथा से पूर्व गांव में एक भव्य कलश यात्रा निकाली गई जिसमें श्रद्धालु महिलाओं ने सिर पर कलश धारण करके गांव की परिक्रमा की व उसके बाद कथा स्थल पर कलश स्थापित किए।
इस मौके पर कथा व्यास वृंदावन से आए स्वामी इंद्रेश जी महाराज भी कलश यात्रा के साथ चल रहे थे इसके अतिरिक्त श्रद्धालु अपने सिर पर श्रीमद् भागवत महापुराण को धारण किए हुए थे। रास्ते में भगवान श्री कृष्ण के जयकारे से पूरा क्षेत्र श्रद्धा मय हो गया। कथा के आयोजक 11 स्टार मॉर्निंग क्लब के सदस्यों ने बताया कि हर वर्ष भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ भगवान श्री कृष्ण की रासलीला का आयोजन किया जाता है।
इस बार महामारी को देखते हुए इस आयोजन को थोड़ा लेट किया गया वह आने वाले सभी श्रद्धालुओं को कोविड-19 के नियमों की पालना करने का भी आह्वान किया गया। कथा के पहले दिन देवी देवताओं का आह्वान किया व मूल रूप से श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ शुरू हुआ। इस मौके पर कृषि विभाग में कार्यरत श्रद्धालु अनुज कुमार सढोरा ने मूल रूप से होने वाले पाठ में मुख्य रूप से भाग लिया वह मूल रूप से पाठ का संकल्प किया।
कथा के पहले दिन श्रीमद् भागवत महापुराण के बारे में बात करते हुए कथा व्यास स्वामी इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण ही साक्षात भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप हैं।इन्हें हम कोई ग्रंथ या किताब नहीं समझ सकते क्योंकि कलयुग में भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप श्रीमद्भागवत महापुराण ही है। उन्होंने कहा कि भागवत महापुराण में भगवान की लीलाओं के अतिरिक्त अन्य ऐसे प्रसंग है जो जीवन को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाते हैं। उनका कहना था कि इस दौरान हम भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के साथ-साथ भगवान श्रीराम के बारे में भी जानेंगे तथा उन भक्तों के चरित्र का भी वर्णन करेंगे जो भगवान के परम भक्त रहे हैं। इन भक्तों के चरित्र से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम भी इन भक्तों की तरह ही भगवान की भक्ति को अपने जीवन में उतारे और अपना जीवन सफल करें। कथा के दौरान सुरेश धमाका व उनकी टीम द्वारा भजनों की अमृत वर्षा की गई तथा पंडित कमल शर्मा द्वारा मूल पाठ शुरू किया गया।
उन्होंने बताया कि जब भी श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो तो मूल पाठ सबसे अधिक जरूरी है मूल पाठ के बिना श्रीमद् भागवत कथा के कोई मायने नहीं है।पाठ के साथ-साथ सभी देवी देवताओं का भी आह्वान किया जाता है ताकि देवी देवता भी कथा में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राकेश त्यागी, परीक्षित त्यागी, गौरव त्यागी, राकेश कुकला, अरुण त्यागी, मायाराम शर्मा, रामपाल सिंह, सेवा पाल, सतीश कुमार, विनोद अरोड़ा, प्रदीप बक्शी, राजन दुग्गल, पंडित श्याम लाल त्यागी, नरेश त्यागी, सपना, पूनम, सुमन, संतोष, मीना, ममता, अनीता, सरोप, दीपा, रूपा, कौशल्या, रेणु, सरोज, रेखा, सुनीता, अनुराधा, सीमा, सुधा, सरोज, शीला, नीरज, अंजु, कुसुम, अनिल, अक्षय वर्मा और राकेश मुख्य रूप से उपस्थित थे।