5 वर्ष की आयु में ही ध्रुव जी महाराज को भगवान ने दिए थे दर्शन
यमुनानगर हलचल। भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र गोविंदपुरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा मैं कथा व्यास वृंदावन से आए स्वामी इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि महाराजा परीक्षित ने सुखदेव जी महाराज से पूछा था कि जिस व्यक्ति की मौत 7 दिन में निश्चित हो उसकी मुक्ति का क्या उपाय है।
उन्होंने कहा कि परीक्षित जी महाराज को शाप था कि 7 दिन के भीतर तक्षक नाग के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। वे चाहते थे कि उनके पास जो 7 दिन बचे हैं उन्हीं 7 दिन में वह ऐसा कुछ करें कि उन्हें जीवन मृत्यु के आवागमन से छुटकारा मिल जाए और वह परमपिता परमात्मा के धाम में सदा के लिए वास करने लगे। कथा व्यास ने बताया कि परीक्षित जी महाराज ने 7 दिनों तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया और उसके बाद परमधाम के लिए रवाना हुए।
7 दिन तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे जन्म मृत्यु के आवागमन से छूट गए। इसके अतिरिक्त श्री इंद्रेश जी महाराज द्वारा विभिन्न संतों व महापुरुषों के चरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया और बताया गया कि किस प्रकार इन महापुरुषों ने भगवत की प्राप्ति की है।उनका कहना था कि मनुष्य मात्र का केवल एक ही लक्ष्य है कि वह इस जन्म में भगवान की प्राप्ति करें।अन्य किसी जन्म में भी भगवान की प्राप्ति संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुझसे को सबसे पहले यह जानना चाहिए कि उसका इस धरा पर आने का क्या उद्देश्य है जब मनुष्य यह जान जाएगा कि उसका उद्देश्य तो केवल भगवत प्राप्ति है तब वह इसी मार्ग पर चलकर भगवत भक्ति में लगेगा और अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। 5 वर्षीय बालक ध्रुव का चरित्र वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि 5 वर्ष की आयु में ही ध्रुव ने प्रभु की भक्ति गीत और प्रभु को मजबूर होकर ग्रुप को दर्शन देने के लिए आना पड़ा।
उनका कहना था कि प्रभु खुद अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए आते हैं यदि भाव शुद्ध हो तो प्रभु अपने भक्तों के पास खुद ही खींचे चले आते हैं। कथा व्यास स्वामी इंद्रेश जी महाराज का कहना था कि इस दुनिया में यदि मन को लगाओगे तो प्रभु की प्राप्ति नहीं कर सकोगे और यदि प्रभु की भक्ति करोगे तो प्रभु के धाम भी जा सकते हो। संतान व अपनों के लिए रोने से भी कोई फायदा नहीं है यदि रोना ही है तो भगवान के लिए रोया जाए तो वह भगवत प्राप्ति के मार्ग को सुगम बना देता है। इस दौरान भजन गायकों द्वारा भजन अमृत वर्षा किए गए जिसका आनंद श्रद्धालुओं ने उठाया।
कथा से पूर्व मुख्य यजमान द्वारा कथा व्यास को माल्यार्पण किया गया वह भागवत महापुराण की आरती के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर राकेश त्यागी, मायाराम शर्मा, मनोज त्यागी, अरुण त्यागी, परीक्षित त्यागी, गौरव त्यागी, अंकुश, प्रवीण शर्मा, राजन दुग्गल, प्रदीप बक्शी, नैका, रामकुमार, पंडित श्याम लाल, नरेश कुमार, अजय त्यागी, रोशन लाल शर्मा, अनिल, सुधा, रेखा, पूनम, सरोज, प्रियंका, करुणा, नीरज, अनुज, सुरेश धमाका, राकेश, विजय व पंडित कमल कांत शर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।