गऊ चारांद के लिए आरक्षित 606 कनाल, 8 मरले भूमि को नियम विरूद़ध ठेके पर देने का आरोप

 यमुनानगर (रादौर)। ग्राम पंचायत राझेडी द्वारा कथित रूप से माननीय सर्वोच्च न्यायलय के आदेशों का उल्लंघन करते  गऊ चारांद के लिए आरक्षित 606 कनाल, 8 मरले भूमि को लाखों रूपए में ठेेके  पर दे दिया। मामले को लेकर गांव के लोगों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व  जिला उपायुक्त को इस संदर्भ में एक शिकायत पत्र भेजकर कार्रवाई करने की मांग की है। गांव राझेडी निवासी ललित कुमार पंच,  रमेश कुमार पूर्व पंच, पालाराम, फतेहसिंह नंबरदार, राकेश कुमार पूर्व पंच, अमित कुमार, मुनीष कुमार, रींकू, आदि ने बताया कि गत 11 अप्रैल को पंचायत ने कोर्ट के आदेश पर गऊ चारांद की लगभग 606 कनाल 8 मरले भूमि को कुछ लोगों से मुक्त करवाया था। जिसके बाद पंचायत ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उपरोक्त गऊ चारांद की भुमि को लाखों रूपए में ठेेके पर दे दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायलय के आदेश अनुसार गऊ चारांद की भुमि को पंचायत ठेके पर नही दे सकती। यह भुमि गांव के पशुओं की भुमि है। ग्रामीणों ने बताया कि सिविल अपील नं 1132/20011 एसएलपी (सी) नं 3109/ 2011 के अनुसार माननीय न्यायधीश मारक ण्डेय काटजू ने अपने फैसले में सभी प्रदेशों के चीफ सैकेट्रियों को आदेश दिए थे कि गऊ चारांद की भुमि को व्यावसायिक भुमि के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और न ही इसे पट्टे पर दिया जा सकता हेै। वहीं सिविल अपील नं436 ऑफ 2011(सी) नं 20203 ऑफ 2007 के अनुसार सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश आरवी रविन्द्रन जे ने झारखण्ड के एक मामले में तो गऊ चारांद की भुमि पर किसी प्रकार का निर्माण तक करने पर रोक लगाई थी। न्यायधीश ने अपने फैसले में गऊ चारांद की भुमि को पशुओं के लिए आरक्षित बताते हुए किसी भी अन्य क्षेत्र में इसक ा इस्तेमाल करने पर रोक लगाई थी। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत ने नियमों का उल्लंघन करके गऊ चारांद की भुमि को ठेके पर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने तीन बार जिला प्रशासन को शिकायत दे चुके है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बारे गांव राझेडी के सरपंच जितेन्द्र कांबोज ने बताया कि जो लोग शिकायत कर रहे है। इन्ही लोगों ने पंचायती भुमि पर पहले कब्जा किया हुआ था। जिसको हाईकोर्ट के आदेश पर 11 अप्रैल 2018 को पंचायत को कब्जा दिलवाया था। वहीं कब्जाधारियो ने हर्जाने के तौर पर 5 लाख रूपए भी पंचायती को दिए थे। जिसकी रशीद उनके पास मौजूद थी। उन्होंने पंचायती भुमि की मुनादी करवाकर ही भुमि को ठेके पर दिया है।
Previous articleजेल के कैदियों को नशे के प्रति चेताया
Next articleवैल्फेयर एसोसिएशन ने वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चन्द्र चटर्जी का जन्मदिवस मनाया