धर्म कभी निरपेक्ष नही होता। धर्म तो साक्षेप होता है। सबका विकास के महामंत्र के साथ स्मृद्धिशाली राष्ट्र का निर्माण करता है : महंत आचार्य भगवतीप्रसाद शुक्ल
रादौर। मानव धर्म के प्रहरी बनो, वैदिक सत्य सनातन धर्म संस्कृति में जातिवाद, छुआछुत, तुष्टीकरण का कोई स्थान नही है। धर्म कभी निरपेक्ष नही होता। धर्म तो साक्षेप होता है। जो सबका साथ सबका विकास के महामंत्र के साथ स्मृद्धिशाली राष्ट्र का निर्माण करता है। यह शब्द राधा कृष्ण मंदिर रादौर के महंत आचार्य भगवतीप्रसाद शुक्ल ने कहे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लम्बे समय तक सत्तासीन रहे नेताओं ने तुष्टीकरण नीति को अपनाकर भारत कि यह दुर्दशा कर दी है। जातिवादी व छुआछुत तुष्टीकरण व्यवस्था ने समाज को आपसी कटुता का शिकार बना दिया है। इससे मुक्त होने के लिए छुआछुत मुक्त भारत बनान के लिए मानवीय मूल्यों का प्रहरी बनना होगा। तभी हम एक सभ्य समाज की स्थापना कर सकते है। उन्होंने पूरे देश में गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने व गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने लगाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि आज भौतिकवाद की चकाचौंध में हम अपने पुराने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। हमारी प्राचीन संस्कृति ने हमें अपने बडों व गुरूजनों का आदर करना सिखाया था। लेकिन आज की युवा पीढी अपने प्राचीन संस्कारों को भूल चुकी हैं। जिस कारण आज की युवा पीढी पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगती जा रही हैं। जिस कारण हमारी प्राचीन संस्कृति को भारी ठेस पहुंची हैं। आज सनातन संस्कृति को समाप्त करने की साजिस रची जा रही है। देश के छात्रों व युवाओं पर बढी जिम्मेवारी है। उन्होंने युवाओं से राम, कृष्ण, स्वामी विवेकानंद, गुरु गोविन्द सिंह के विचारों पर आधारित जीवन जीने की अपील की।