राष्ट्र धर्म ही मानव धर्म है,चरित्र निर्माण से मानव निर्माण संभव है: स्वामी सुशील गिरी सच्चिदानंद

रादौर। राष्ट्र धर्म ही मानव धर्म है। राष्ट्र सर्वोपरी है चरित्र निर्माण से मानव निर्माण संभव है। मानव तन का जन्म होता है, मानव का नही मानव तन तब तक मानव नहीं कहा जा सकता, जब तक उसमें मानवता न आ जाए। आज की सबसे बडी जरूरत मानव निर्माण की है। यह शब्द मानव निर्माण अभियान के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी सुशील गिरी सच्चिदानंद ने अपने जनसंपर्क अभियान के तहत व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अगर संपूर्ण विश्व में भारत की प्रतिष्ठित छवि को धुमिल होने से बचाना है तो सभी के सामुहिक प्रयास की आवश्यकता हैं। तभी आदर्श समाज, आदर्श राष्ट्र और संस्कृति की कल्पना को संभव बनाया जा सकता हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे देश की युवा पीढी पर विदेशों की कुसंस्कृति एवं पश्चिमी सभ्यता हावी हो रही हैं। अगर इससे शीघ्र ही बचाव न किया गया तो भविष्य प्रभावित होगा। जो अभिभावकों के लिये परिवारिक संकट पैदा कर सकता हैं। उन्होंने कहा की घर के बडे बुजुर्गाे एवं खास तौर पर माताओं को चाहिये कि वे सभी परीवारिक सदस्यों को धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हुए भारतीय सभ्यता, संस्कारों के विषयों में समय समय पर जागरूक करती रहें। अपने अपने क्षेत्र में होने वाली धार्मिक आयोजनों में पुरी भावना से शामिल होने के लिये प्रेरित करना चाहिये। ताकि बचपन से ही संस्कार युक्त शिक्षा ग्रहण करते हुए एक आदर्श जीवन बना सके।

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