पंचनद शोध संस्थान अध्ययन केन्द्र यमुनानगर इकाई द्वारा मधु कालोनी में डॉ. हेमंत मिश्र की अध्यक्षता में विश्व जनसंख्या दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बढती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके प्रभाव व रोकने के उपायों पर चर्चा की गई।
पंचनद शोध संस्थान के अध्यक्ष सुरेश पाल ने विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जानकारी देते हुए बताया कि सन 1989 में 11 जुलाई को दुनिया की आबादी 500 करोड़ हो गई थी। जनसंख्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यूए ने इस दिन को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित किया। आज विश्व की जनसंख्या लगभग 763 करोड़ हो गई है। भारत में बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि जब हम आजाद हुए थे तो जनसंख्या 33 करोड़ थी जो आज बढ़कर 1 अरब 36 करोड़ हो गई है। जो विश्व की कुल आबादी का 17.74 प्रतिशत है। जबकि विश्व की कुल धरती का 2 प्रतिशत हिस्सा ही भारत के पास है तथा जनसंख्या के हिसाब से विश्व का दूसरा बड़ा देश है। जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण संसाधनों का दोहन हो रहा है। इसी कारण भारत का आमजन अपनी मौलिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए आजादी के 70 साल बाद भी जुझ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की सुविधाओं, रोजगार के अवसरो, सीवर, सड़को व परिवहन प्रणाली के अभाव में सामाजिक असंतोष पनप रहा है। आज भी शहरों व गांवों में पर्याप्त शौचालय नही है। 30 प्रतिशत लोगो को शुद्ध पेय जल नही मिलता, 37 प्रतिशत लोग मलिन बस्तियो में रहते है, 48 प्रतिशत बच्चे कुपोशित है, 43 प्रतिशत बच्चो का वजन सामान्य बच्चों से कम है। भूजल स्तर गिर रहा है।
वनों का क्ष्ेात्रफल कम हो रहा है तथा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हर वर्ष ये समस्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने विश्व जनसंख्या दिवस पर आह्वान किया कि समाज व देश के स्तम्भ शिक्षक व न्यायविद, अधिवक्ताओ, पत्रकारों, साहित्यकारों, ट्रेड यूनियन, वैज्ञानिक कर्मचारी, राजनेता एवं समाज के प्रबुद्ध नागरिक सकंल्प ले कि वे देश के लोगो को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करेगे तथा हमारे राजनेता जनसख्ंया नियंत्रण को पहली राष्ट्रीय आवश्यकता मानकर जनसंख्या निति को कारगर ढंग से कार्यङ्क्षवत करने का संकल्प लेंगे तभी हमारा खुशहाल भारत का सपना साकार होगा।
इस अवसर पर डॉ. हेमंत मिश्र व तरसेम सैनी ने कहा कि आज बलशाली भारत जनसंख्या के बोझ तले दबा है। कार्बन डाईआक्साईड का स्तर बढं रहा है। गलेशियर पिघल रहे है, जलस्तर गिर रहा है। परिस्थितिया असंतुलित हो रही है।भविष्य में विश्व युद्ध जल को लेकर हो सकता है। गरीबी, अशिक्षा, कम आयु में विवाह, कड़े कानूनों का अभाव, बढ़ती जनसंख्या के लिए जिम्मेवार है। पा्रचार्य पीरथी सैनी व सुरेन्द्र सिंह, प्रवक्ता राजनीति शास्त्र बलविन्द्र सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।