Bilaspur : पंचमुखी हनुमान मंदिर

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पंचमुखी हनुमान मंदिर बिलासपुर से छछरौली तक आने वाली सड़क पर बिलासपुर से 4 किमी दूरी पर स्थित है| मंदिर में पांच चेहरे के साथ हनुमान जी की प्रतिमा है।

पंचमुखी हनुमान मंदिर : पंचमुखी हनुमान मंदिर बिलासपुर से छछरौली तक आने वाली सड़क पर बिलासपुर से 4 किमी दूरी पर स्थित है| मंदिर में पांच चेहरे के साथ हनुमान जी की प्रतिमा है। मंदिर के प्रधान के अनुसार यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। जो तकरीबन पांच एकड़ जमीन में फैला हुआ है। उनके अनुसार यहां पहले ढ़ाक का जंगल हुआ करता था, ढ़ाक एक प्रकार का पेड है।

यहां घूमते-फिरते जानकीदास नामक फकीर आए थे, जो आगे चलकर महंत कहलवाए। उनको यहां तपस्या करते हुए पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन हुए। उन्होंने यहां पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थापित कराई। जो लगभग 80 वर्षों तक मंदिर में रहे, ये युवावस्था में ही आ गए थे। जिन्होंने यहीं अपने प्राण त्यागे। उनके बाद बाबा गरीबदास, रघुवीरदास, किशोरदास, रामरत्न लाल, बाबा बालमुकंद जी यहां रहे।

पाकिस्तान बनने के बाद उथल-पुथल होने उपरांत गांववासियों ने केवल बाबा रामरत्न, बाबा बालमुकंद जी को ही देखा। इन दोनों ने ही गांववासियों के सहयोग से मंदिर में शिव मूर्ति, मां वैष्णों, रामपरिवार, राधाकृष्ण जी की मूर्तियां स्थापित कराई। उसके उपरांत सर्वप्रथम यहां गौशाला का निर्माण कराया गया। उसके बाद घाट, पार्क, बरामदा, भंडारा ग्रह का निर्माण प्रबंधक कमेटी की देखरेख में निर्माण कराया गया है।

मंदिर को पुराने समय के संगमरमर पत्थरों से नक्काशी की गई है, जिसकी चमक आ भी देखते ही बनती है। बताते हैं यह पत्थर उस समय राजस्थान से मंगवाया गया था। जिसका खर्च में पूरे गांववासियों का सहयोग था। मंदिर का निर्माण उस समय बिल्कुल साधारण तरीके से किया गया था। लेकिन अब प्रबंधक कमेटी इसके फैलाव के लिए नक्शानवीस की सहायता ले रही है। ताकि श्रृद्धालुओं को किसी भी परेशानी का सामना न करना पडे। इस मंदिर में कार्यशैली भारतीय परंपरानुसार है।

भक्त कई चमत्कार महसूस कर चुके हैं और अब भी महसूस कर रहे हैं। प्रत्येक मंगलवार को यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर में प्रसाद के रूप में जलपान की व्यवस्था चलती रहती है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु पहले यमुनानगर बस-स्टैंड पर उतरें, उसके बाद वहां से बिलासपुर कस्बे की बस लेकर कपाल मोचन चौंक पहुंचें। वहां से छछरोली रोड जाने के लिए आटो लें, आटो ले सीधा मंदिर के द्वार तक पहुंचा जा सकता है। जो छछरौली गांव के रास्ते में पडता है।

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