यमुनानगर हलचल। जिला में यदि कोई दुकानदार आक्सीटोसीन का इंजैक्शन बेचता हुआ पाया गया या कोई पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को यह इंजैक्शन लगाता हुआ पाया गया तो उसके विरूद्ध नियमों के अनुसार कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त मुकुल कुमार ने बताया कि आक्सीटोसीन का इंजैक्शन बेचना या दुधारू पशुओं को यह इंजैक्शन लगाना सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मौसम में दुधारू पशु प्राय: कम मात्रा में दूध देते है और पशुपालक दूध उतारने के लिए इस प्रतिबंधित आक्सीटोसीन इंजैक्शन का प्रयोग करते है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आक्सीटोसीन इंजैक्शन के प्रयोग से पशुओ के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है व आक्सीटोसीन इंजैक्शन लगे दुधारू पशु के दूध को प्रयोग करने से मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि आक्सीटोसीन इंजैक्शन लगे दुधारू पशु का दूध पीने से मनुष्य के दिमाग पर सीधा कुप्रभाव पड़ता है और मनुष्य कई बीमारियों से भी ग्रसित हो जाता है। उन्होंने कहा कि नोवल कोरोना वायरस कोविड-19 की विश्व व्यापी बीमारी के चलते कमजोर व्यक्तियों पर कोरोना वायरस व आक्सीटोसीन इंजेक्शन लगे पशुओं का दूध पीना तो और भी ज्यादा खतरनाक है।
मुकुल कुमार ने आगे बताया कि आक्सीटोसीन इंजैक्शन लगे पशुओं के मरने के बाद कुत्ते या अन्य जानवर जो इन पशुओ का मांस खाते है व हड्डियों को चबाते है वे अक्सर पागल हो जाते है और वे मनुष्यों के लिए भी खतरनाक साबित होते है। उन्होंने बताया कि पिछले दशकों में आक्सीटोसीन इंजैक्शन लगे पशुओं का मांस खाने से ही गिद्धों की भारी संख्या में मृत्यु हुई है।
उन्होंने जिला के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के सभी दुकानदारों को आगाह किया है कि वे इस प्रतिबंधित आक्सीटोसीन के इंजैक्शन को न रखे व न ही किसी पशुपालक को बेचे। इसके साथ ही उन्होंने पशुपालकों को भी चेतावनी दी है कि वे अपने पशुओं को दूध उतारने के लिए आक्सीटोसीन का इंजैक्शन न लगाए। यदि कोई ऐसा करेगा तो उसके विरूद्ध कानून के अनुसार कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।