यमुनानगर। स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसकी शुरूआत पावन अवतार वाणी के शब्द गायन से हुई। सत्संग की अध्यक्ष्ता जोनल इंचार्ज टेक चंद व मंच संचालन नरेश निरंकारी ने किया।
साध संगत को सम्बोधित करते हएु टेक चंद जी ने कहा कि राजा अपने दास से पूछता है कि तुम क्या खाओगे तो दास कहता है कि जो आप खिलाए, राजा पूछता है तुम क्या पहनोंगे दास कहता है जो आप पहनाओगे फिर राजा दास से पूछता है तुम कहां सोओगे दास कहता है जहां आप सुलाओगे कहने का तात्पर्य है कि दास की कोई इच्छा नही होती वह अपने मालिक के आश्य मुताबिक जीवन जीता है।
उसी तरह गुरसिख भी सतगुरू के हर आदेश को मानते हुए दास भावना से जीवन जीता है। गुरसिख हर परिस्थिति में परमात्मा का शुकराना ही करते है, राजी है हम उसी में जिसमें तेरी रजा है इस भाव से जीवन व्यतीत करते है। उन्होंने कहा कि हर काम में इस प्रभु परमात्मा का सहारा लेते है उनके सभी काम बन जाते है ’लेता हू तेरा नाम होते है मेरे काम’ जो प्रभु का सहारा लेते है उन्हें किसी ओर सहारे की जरूरत नही रहती। यह निरंकार सभी शक्तियों का मालिक है, सबसे निकट है और हमेशा साथ देने वाला है इसी के सहारे जिंदगी का सफर तय करे। उन्होंने कहा कि जिनके मन में यह परमात्मा बसा होता है उनके मन को ऐसी ताकत मिलती है कि वो भटकता नही है सच के मार्ग पर बढते हुए कदम को रोकता नही है। यह निरंकार सबसे निकट है हम सब इस निरंकार में है और यह हम सब में है पर इसका एहसास बना रहता है तब जो यह निकट है वरना नजदीक होते हुए भी दूर हो जाता है कहने का भाव ये संग है लेकिन इसके संग होने का लाभ तभी प्राप्त किया जा सकता है जब इसका अहसास हो।
उसी तरह गुरसिख भी सतगुरू के हर आदेश को मानते हुए दास भावना से जीवन जीता है। गुरसिख हर परिस्थिति में परमात्मा का शुकराना ही करते है, राजी है हम उसी में जिसमें तेरी रजा है इस भाव से जीवन व्यतीत करते है। उन्होंने कहा कि हर काम में इस प्रभु परमात्मा का सहारा लेते है उनके सभी काम बन जाते है ’लेता हू तेरा नाम होते है मेरे काम’ जो प्रभु का सहारा लेते है उन्हें किसी ओर सहारे की जरूरत नही रहती। यह निरंकार सभी शक्तियों का मालिक है, सबसे निकट है और हमेशा साथ देने वाला है इसी के सहारे जिंदगी का सफर तय करे। उन्होंने कहा कि जिनके मन में यह परमात्मा बसा होता है उनके मन को ऐसी ताकत मिलती है कि वो भटकता नही है सच के मार्ग पर बढते हुए कदम को रोकता नही है। यह निरंकार सबसे निकट है हम सब इस निरंकार में है और यह हम सब में है पर इसका एहसास बना रहता है तब जो यह निकट है वरना नजदीक होते हुए भी दूर हो जाता है कहने का भाव ये संग है लेकिन इसके संग होने का लाभ तभी प्राप्त किया जा सकता है जब इसका अहसास हो।
उन्होंने कहा कि गुरसिख माया से होशियार रहता है। माया अनेकों रूप धारण करके आती है और अपना प्रभाव डालने का प्रयास करती है हर वो चीज जो हमे सेवा, सिमरन व सत्संग से दूर करे वो माया का ही रूप है। जिन्होंने परमात्मा को जान लिया तो निंरकार भी आवरण एक कवच की तरह पहेरेदार बन जाता है और ऐसे संतो का जो संग करता है उनका भी पार उतारा हो जाता है। जो भी इस परमात्मा की महिमा गाता है संसार उसकी महिमा गाता है। उन्होंने 71वें वार्षिक संत समागम की जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष 24,25 व 26 नवम्बर 2018 को पहली बार संत निरंकारी अध्यातमिक स्थल, समालखा हरियाणा में होने जा रहा है जो बहुत ही खुशी की बात है। इस निरंकार दातार को अपने हृदय में बसाए रखे। इस अवसर पर अनेक वक्ताआंे ने अपने विचारों, गीतों व कविताओं के माध्यम से मिशन का सत्य संदेश दिया व भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने सत्संग में भाग लिया।