यमुनानगर। महाराजा अग्रसेन प्रवन्ध एवं तकनीकी संस्थान जगाधरी में महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में एक आयोजन किया गया | कार्यक्रम का सुभारम्भ संस्थान के निदेशक डा. अजय शर्मा, सभी शिक्षक व छात्रों ने महाराजा अग्रसेन जी के समक्ष दीप प्रज्वलित व चरणों में पुष्प अर्पित कर किया | निदेशक ने अपने सम्बोधन में महाराजा अग्रसेन जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी सामाजिक ब्यवस्था अत्यंत सुदृण थी | उनके राज्य में आर्थिक
विकास का आधार था समाजबाद, प्रत्येक ब्यक्ति सबके लिए जिए | परोपकार कि भावना उनका मूलमंत्र था | उनके
द्वारा किये गए कार्यो से हमे प्रेरणा मिलती है जिसको आत्मसात कर हम जीवन के पथ पर अग्रसर हो सके |
बी. सी. ए की छात्रा दीपशिखा द्वारा महाराजा जी के जीवनी पर प्रकाश डाला |ऍम. सी. ए. की छात्रा बलप्रीत द्वारा
कबिता .. माथे पे अग्रोहा का चन्दन मैं लगाने आयी हूँ, एक परोपकारी राजा का मैं बंदन करने आयी हूँ .. की प्रस्तुत की गयी | बी.बी. ए. की. छात्रा निशा ने अपने बक्तब्य में बताया कि महाराजा अग्रसेन जी ने भगवान शंकर की तपस्या की। शंकर जी ने अग्रसेन जी को देवी लक्ष्मी जी के तपस्या की सलाह दी, अग्रसेन जी देवी लक्ष्मी जी की तपस्या प्रारंभ की, लक्ष्मी जी प्रसन्न हुई व अग्रसेन जी को आशिर्वाद दिया, उन्होंने अपने लोगो की सम्बृद्धि के लिए व्यवसाय की परंपरा के लिए अग्रसेन जी का आग्रह किया | अग्रसेन जी एक ईंट व एक रुपया दान करने की परंपरा को प्रारंभ किया जिससे समाजवाद की स्थापना हुई | एम. बी. ए. की छात्रा वैशाली ने कविता सुनाईl.. वो बीर थे, रणवीर थे सागर से वो गंभीर थे, इंसान के रूप में वे भगवान की तस्वीर थे। अंत में सभी को प्रसाद वितरण किया गया |