खिजराबाद। दूसरों के गुण देखें दोष नही, दूसरों की तरक्की से जले नही उनसे प्रेरणा लें। हम सब भगवान के भरोसे हैं और भगवान कभी भरोसा तोड़ते नही हैं। उक्त प्रवचन कथा वाचक बिजेंद्र शास्त्री ने गांव बहादुर पुर में कहे।
कथा वाचक बिजेंद्र शास्त्री ने संगीतमय श्रीराम कथा प्रवचन में कहा कि छल कपट छोड़ कर भगवान की भक्ति करें। अपने को भगवान को समर्पित कर दें। उन्होने कहा कि भगवान जब भक्त का हाथ थाम लेते हैं तो उसके सब दुख दूर हो जाते हैं। शास्त्री ने बाली व सुग्रीव के बीच हुए युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि सुग्रीव को कुछ समय के लिए भगवान राम का साथ मिल जाने पर अभिमान हो गया था। इसी लिए फिर बाली की मार खानी पडी। लेकिन अगली बार भगवान पर भरोसा कर लडे तो बाली कीे मृत्यु हुई। उन्होने कहा कि इंसान को किसी भी वस्तुका अभिमान नही करना चाहिए। बिजेंद्र शास्त्री ने कहा कि बाली को बाण लगने पर भगवान राम से कहा कि भगवन मेरा क्या दौष है। आप मुझे छोड़ कर सुग्रीव का साथ क्यों दे रहे हो। क्योंकि बाली को अपने दौष दिखाई नही पडे। भगवान राम ने फिर बाली को समझाते हुए कहा कि छोटे भाई की पत्नी, पुत्र वधु, कन्या तथा बहन पर कभी बुरी दृष्टि नही डालनी चाहिए। शास्त्री ने कहा कि बच्चों को उच्च संस्कार दें। उन्होने कहा कि मित्र के दुख को अपना दुख समझें। मित्र के गुण देखें अवगुण नही। बिजेंद्र शास्त्री ने कहा कि मित्रता भगवान राम व सुग्रीव तथा भगवान कृष्ण व सुदामा जैसी होनी चाहिए। उन्होने कहा कि सुग्रीव की तरह जो भगवान की शरणागत हो जाता है उसके सब दुख दूर हो जाते हैं। शास्त्री ने कहा कि दुख में भगवान को सब याद करते हैं। लेकिन सुख आते ही भगवान को भूल जाते हैं। ईश्वर को हमेशा समर्पित भाव से याद करें। नित्य प्रति मन्दिर जाएं। अपनी नेक कमाई से दान अवश्य करें।
इस अवसर पर मन्दिर के महंत स्वामी सुबोधानंद,रामकरण धीमान, नरेश सिंगला, संजय , केसो राम, राज कुमार, प्रेम चंद धीमान, देवी दास,सूरजभान, बनारसी, मोहन लाल, नरेंद्र गुर्जर, शिवचरण मित्तल, जयकरण, सुमित बटार आदि उपस्थित रहे।