झूठ के बाजार में तू सच ढूंढने चला था,
पहले भी जानता था कि वो क्या बला था।
उसको कैसे गलत ठहराएगा ए जीवन,
उसने तो इशारा किया तू ही दौड़ चला था।
जो अपने संगी-साथियों का न हुआ आज तक,
नहीं जानता था तू कि वो क्या जलजला था
अब भी शुक्र मना तू उसकी शराफत का
वक्त सही था, तुझे नाज था अपनी कला का
जीवन जोशी, अम्बाला. 9466719017