इंकलाब मंदिर में अशफक उल्ला खां का जन्मदिवस मनाया

रादौर इंकलाब मंदिर गुमथला में रविवार को हरियाणा एंटी क्रप्शन सोसायटी की ओर से महान क्रांतिकारीअशफाक उल्ला खां जन्मदिवस मनाया गया। कार्यक्रम में जर्मनी से आए मैजिस्ट्रेट ब्यूरो मैम्बर राहुल कांबोज व जैसाबेला फेरेज, स्पीकर ऑफ स्टेट इन जर्मन ने क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां के चित्र पर फूलमालाएं अर्पित कर अपनी श्रंद्धाजलि भेंट की। इस अवसर पर वरयामसिंह ने कहा कि अंग्रेजी शासन से देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालो में अशफाक उल्ला खां भी एक थे। वह उर्दू भाषा के बेहतरीन कवि थे। पठान परिवार से संबंधित अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्टूबर 1900 को शाहजहांपुर उत्तरप्रदेश में हुआ था। 1920 में जब बिस्मिला खां शाहजहां आ गए थे तब अशफाक ने उनसे मिलने की बहुत कौशिश की। 1922 में जब असहयोग आंदोलन की बात हुई तब बिस्मिल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभाओं में अशफाक ने बढचढ कर भाग लिया। इस महान क्रांतिकारी ने अपना जीवन देश को समर्पित किया था। हमें ऐसे महान क् क्रांतिकारी पर फकर है।
शहीदों का ऐसा मंदिर नहीं देखा दुनिया में कही – जर्मनी से आए राहुल कांबोज ने कहा कि उन्होंने दुनियाभर में अनेको मंदिर देखे है, लेकिन आज तक उन्होने कही भी शहीदों का ऐसा मंदिर नहीं देखा है। जहां देश के सभी शहीदों की मुर्तियां व तस्वीरे लगी हुई है। यह अपने आप में अनोखा है। जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। शहीद किसी भी देश का गौरव होते है। जो उस देश का इतिहास होता है। हर देश में शहीद हुए है। लेकिन भारत के शहीदों की बात ही कुछ और है। इंकलाब मंदिर में शहीदों के जन्मदिवस व शहीदों दिवस मनाना अपने आप में एक बडी बात है। इससे शहीदों का गौरव बढता है। उन्होंने कही भी शहीदों का ऐसा मंदिर नहीं देखा, जहां शहीदों की इस प्रकार हररोज पूजा होती हो। यह उनके लिए बडे गौरव की बात है कि वह अपनी भारत यात्रा में शहीदों के इस मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। वह जब भी अपने देश के दौरे पर आएंगे तो शहीदों के मंदिर में जरूर आया करेगे। शहीद सबके होते है। उन पर सबका हक है।

 

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