अग्रवाल सभा, युवा मंच तथा महिला संगठन के संयुक्त तत्वावधान में हास्य कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
यमुनानगर। महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष में अग्रवाल सभा, युवा मंच तथा महिला संगठन के संयुक्त तत्वावधान में एसडी पब्लिक स्कूल में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रदेश की महिला बाल विकास एवं स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया। हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल, हिमाचल विधानसभा स्पीकर राजीव बिंदल, यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित रहे। हास्य कवि सम्मेलन की शुरूआत में सभी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। कार्यक्रम के दौरान पदमश्री कवि सुरेंद्र शर्मा, दीपक गुप्ता, बलबीर सिंह खिचड़ी, अर्जुन सिसौदिया, महेंद्र अजनबी व कवित्री डा. ममता वासने ने कविता पाठ कर सभी को हंसी से लोटपोट कर दिया।
हास्य कवि सम्मेलन में बाबाओं पर कटाक्ष करते हुए कवि दीपक गुप्ता ने कहा कि कैसी आजादी है,सेवेरो से डर लगता है, जब तक लूटे उजालों में अंधेरों से डर लगता है। पांखडी बाबाओं की वजह से अब कोठो से ज्यादा डेरो से डर लगता है। इसके बाद कवि बलबीर सिंह खिचड़ी जब मंच पर आए, तो हंसी के हठाके शुरू हो गए। उन्होंने कहा कि जो आदमी जीवन में इंजॉय करता रहता है, जीवन में उसे कभी भी एंजोग्राफी नहीं करवानी पड़ती है। सभी के जीने का अपना अगल अंदाजा होता है, कोई सीधा कबूतर सा कोई बाज होता है, कोई महलों में रहकर भी भिखारी की तरह जीता, कोई फुटपाथ पर भी बेताज बादशाह होता है। परीक्षा में आए प्रश्नों का उन्होंने उल्टे-सीधे जवाब देकर सभी हंसाया। महाभारत के युद्ध के कारण का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त पुलिस नहीं थी, अगर पुलिस होती, तो दोनों पक्षों के पांच-पांच लोगों को थाने में बिठाती, और ले- देकर मामला निपटा देती।
हास्य कवि सम्मेलन में बाबाओं पर कटाक्ष करते हुए कवि दीपक गुप्ता ने कहा कि कैसी आजादी है,सेवेरो से डर लगता है, जब तक लूटे उजालों में अंधेरों से डर लगता है। पांखडी बाबाओं की वजह से अब कोठो से ज्यादा डेरो से डर लगता है। इसके बाद कवि बलबीर सिंह खिचड़ी जब मंच पर आए, तो हंसी के हठाके शुरू हो गए। उन्होंने कहा कि जो आदमी जीवन में इंजॉय करता रहता है, जीवन में उसे कभी भी एंजोग्राफी नहीं करवानी पड़ती है। सभी के जीने का अपना अगल अंदाजा होता है, कोई सीधा कबूतर सा कोई बाज होता है, कोई महलों में रहकर भी भिखारी की तरह जीता, कोई फुटपाथ पर भी बेताज बादशाह होता है। परीक्षा में आए प्रश्नों का उन्होंने उल्टे-सीधे जवाब देकर सभी हंसाया। महाभारत के युद्ध के कारण का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त पुलिस नहीं थी, अगर पुलिस होती, तो दोनों पक्षों के पांच-पांच लोगों को थाने में बिठाती, और ले- देकर मामला निपटा देती।
कवित्री डा. ममता वासने ने कवितामयी यात्रा करवाई। ये बहके बहके कदम मुबारक, लगे महोब्बत नई नई है, हया से तपता ये सुर्ख चेहरा, कहे हरारत नई नई है, जरा सी दूरी बनाए रखना अभी ये कुरबत नई-नई है.,के जरिए उन्होंने सभी को कॉलेज व विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण के दिनों में होने वाले प्यार की याद दिलाई। कवि महेंद्र अजनबी ने कहा कि आज तक एक भी कवि माइक के साइज का पैदा नहीं हुआ, उनका यह कहना था तभी कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्ति व श्रोतागण जोर-जोर से हंसने लगे। उन्होंने कहा कि धरा बेच देंगे, गगन बेच देंगे, इसी बीच किसी ने उठकर पूछा भाई फिर कहां रहेंगे।