Yamunanagar : देश में ऐसी कोई जेल नहीं जो किसान को क़ैद कर सके

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हरियाणा हलचल।  देश में ऐसी कोई जेल नहीं बनी है जो किसान को क़ैद कर सके। किसान अपनी जायज़ मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीक़े से लोकतांत्रिक और संवैधिनिक दायरे में केंद्र सरकार के द्वार पर आया है। सरकार को तुरंत इसका संज्ञान लेते हुए क़ानून में एमएसपी का प्रावधान जोड़ना चाहिए। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का

किसानों के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत कर रहे सांसद दीपेंद्र ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार ने हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ जो बर्ताव किया है, उसे पूरे देश और पूरी दुनिया ने देखा है। एक शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ इस तरह का बर्ताव कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

अन्नदाता के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के कुप्रयासों से हरियाणा सरकार का किसान विरोधी चेहरा फिर बेनकाब हो गया है। बीजेपी-जेजेपी दोनों को किसान नहीं बल्कि कुर्सी ज्यादा प्यारी है। दोनों को अगर किसानों की ज़रा भी चिंता है तो उसे तुरंत नए क़ानूनों में एमएसपी का प्रावधान जुड़वाना चाहिए, नहीं तो जेजेपी को भी अकाली दल की तरह सरकार से बाहर निकल जाना चाहिए।

हेडलाइंस..

देश में ऐसी कोई जेल नहीं बनी है जो किसान को क़ैद कर सके

किसानों को क़ैद करने और उन पर ज़ोर आजमाइश करने की बजाए उनसे बात करे सरकार

किसान अपनी जायज़ मांग लेकर शांतिपूर्ण तरीक़े से लोकतांत्रिक और संवैधिनिक दायरे में केंद्र के द्वार पर आए है

सरकार को तुरंत मांगों का संज्ञान हुए क़ानून में एमएसपी का प्रावधान जोड़ना चाहिए

बीजेपी-जेजेपी सरकार ने हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ जो बर्ताव किया है, उसे पूरे देश और पूरी दुनिया ने देखा है

एक शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ इस तरह का बर्ताव कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता

सरकार उन किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ रही है, जिनकी आंखों में पहले से ही आंसू हैं

सरकार उन किसानों पर ठंडे पानी की बौछारे बरसा रही है, जो पहले से कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार हो रहा है कि सरकार ख़ुद सड़कों पर जाम लगा रही है और किसान उस जाम को खोल रहे हैं। सरकार सड़कों पर गड्ढे खुदवा रही है और किसान उन गड्ढों को भर रहे हैं। संवेदनहीनता की सारी हदें पार करते हुए सरकार ने उन किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, जिनकी आंखों में पहले ही आंसू हैं। सरकार उन किसानों पर ठंडे पानी की बौछारे बरसा रही है, जो पहले से कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। अन्नदाता के अहिंसक और अनुशासित आंदोलन को कुचलने के इस निर्दयी तरीक़े का हम कड़ा विरोध करते हैं। देश का संविधान और लोकतंत्र किसी भी सरकार को इसकी इजाज़त नहीं देता।

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