Yamunanagar Hulchul : Lord Parshuram’s birth anniversary on 14th May 2021.
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परशुराम जन्मोत्सव को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग।
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14 मई को है परशुराम जी का एक अरब 97 करोड़ 12 लाख 21 हजार 122वां जन्मदिन।
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परशुराम जी की पूजा करने से बच्चों में चरित्र एवं वीर रस के संस्कार पैदा होते हैं।
Yamunanagar, 4 April हरियाणा ब्राह्मण परिसंघ की 475वीं मासिक मीटिंग संस्थापक पुरुषोत्तम दास शर्मा के निवास स्थान पर हुई। भगवान श्री परशुराम की प्रतिमा पर दीपोत्सव और आरती करते हुए मीटिंग का आगाज किया गया। भगवान परशुराम जी के 14 मई को आने वाले जन्मोत्सव को मनाने बारे चर्चा हुई। मीटिंग में धर्मपाल गर्ग व जय भगवान शर्मा रामपुर खादर के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना की गई।
मीटिंग को संबोधित करते हुए शर्मा ने बताया कोरोना महामारी संकट पर सरकार की गाईडलाईन्स को ध्यान में रखते हुए ही 14 मई को भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दिन वे कोरोना संकट की घड़ी में लोगों की सेवा करने में जुटे डाक्टर्स, सफाई स्टॉफ, प्रशासन, पुलिस, ट्रक ड्राईवर, सहित उन सभी लोगों के स्वास्थ्य के लिए भगवान परशुराम जी से प्रार्थना भी करेंगे जिन्होंने गत वर्ष अपनी जान की बाजी लगाकर वीरता का प्रदर्शन किया आज भी देशवासियों के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा कि कोराना का टीका बनने के बाद भी वह खत्म नहीं हुआ है इसलिए सभी को सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन्स को सभी को मानना चाहिए। रविवार को आयोजित मीटिंग में श्री शर्मा ने कहा कि प्रस्ताव नंबर 121 दिनांक 9 अप्रैल, 1993 के अनुसार परिसंघ वर्षों से केंद्र सरकार से भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग करता आ रहा है। वे आज भी अपनी अपनी इसी मांग पर कायम हैं और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि सरकार कोरोना खत्म होते की इस बारे जरूर विचार करेगी।
इस अवसर पर उन्होंने जातिगत आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि आरक्षण का आधार सिर्फ आर्थिक होना चाहिए ताकि समाज का हर गरीब तबका इससे लाभ उठा सके। इस अवसर पर प्रेस सचिव रविंद्र पुंज, रेणु कालिया, संतोष रानी व पूनम उपस्थित थे।
श्री शर्मा ने आगे कहा कि अक्षय तृतीय त्रेता युग की प्रथम पुण्य तिथि है, जो सब फलों को देने वाली है। भगवान परशुराम जी का जन्म सतयुग तथा त्रेता के संधिकाल में शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया, पुनर्वसु नक्षत्र में रात्री के प्रथम प्रहर में जमदग्नि रेणुका की कुक्षि से हुआ। श्री परशुराम जी ब्रह्मा जी के पुत्र भृगु के प्रपोत्र, मर्यादा धाम और चिरंजीवी हैं। जन्म से ही इनमें ब्राह्मी धर्म व क्षात्र धर्म पूर्ण रूप में रहा।
श्री शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम के सिमरण मात्र से ही सभी विपदाओं का नाश हो जाता है। परशुराम जी की महिमा का वर्णन करते हुए श्री शर्मा ने आगे कहा वे कष्ट हरने वाले और सुखों के दाता हैं और उन्होंने केवल अपने पितृहंताई नरेश के साथ युद्ध किया था। क्योंकि उस नरेश ने कामधेनु गाय प्राप्त करने के लिए उनके पिता जमदग्नि ऋषि की हत्या कर दी थी और उनका आश्रम नष्ट कर दिया था।
यह व्यक्तिगत प्रतिशोध की घटना है, इसके अतिरिक्त उनका किसी भी राजवंश से युद्ध नहीं हुआ और उनके इक्कीस बार अधर्मी राजाओं के साथ युद्ध का वर्णन कहीं नहीं मिलता, इसलिए यह मिथ्या प्रचार है।
जबकि इक्कीस का अर्थ पूर्ण होना है। इस युद्ध के बाद भगवान परशुराम जी ने युद्ध का भाव छोड़ दिया और समन्तक यज्ञ में समस्त भूमि व धन को कश्यप मुनि को दान में देकर महिन्द्र पर्वत पर तपस्या के लिये चले गये।
उन्होंने कहा कि 14 मई को परशुराम जी का एक अरब 97 करोड़ 12 लाख 21 हजार 122वां जन्मदिन मनाएंगे। भगवान परशुराम शिव के शिष्य हैं अत: रूद्र रूप हैं। विष्णु अंशी के कारण हरि स्वरूप हैं। इसलिए भगवान परशुराम जी ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश रूपायक हैं।
भगवान परशुराम जी से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए श्री शर्मा ने कहा कि विशेषकर ब्राह्मणों को शिक्षा लेनी चाहिए क्योंकि ब्राह्मण राजगद्दी का नहीं परंतु गुरू गद्दी का दीप्यमान रत्न है। ब्राह्मण बैरागी व त्यागी होता है। तपोनिष्ठ व धर्म निष्ठ होता है और धन का लोभी नहीं होता। अत: हम संकल्प लें कि हम संतुष्ट रहें, समाज के सुख व समन्वय का प्रयास करें।
श्री शर्मा ने बताया कि इस दिन गौधुली के समय भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इस दिन घर-परिवार में सुख-समृद्धि हेतु अपने घर के मुख्यद्वार पर तेल के दो दीपक अवश्य जलायें। आज परशुराम जी ब्राह्म-विष्णु-महेश के प्रतीक हैं एवं उनकी पूजा करने से बच्चों में वीर रस के संस्कार पैदा होते हैं, जो देश के अच्छे नागरिक व चरित्रवान बनकर समाज की सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करेंगे।
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