Yamunanagar : डाक्यूमेंटरी के माध्यम से दिखाया गोविंदपुरी गांव का इतिहास

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Documentary on Gobindpuri Yamunanagar by Virender Tyagi.

Yamunanagar : गांव की ही महिलाओं ने किया पोस्टर व यूट्यूब पर वृत्त चित्र को रिलीज

Yamunanagar (Ravinder Punj) : आने वाली पीढिय़ों को पूर्वजों का तथा गांव का लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुराना इतिहास बताने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म म्हारा गांव गोविंदपुरी-एक परिवार, अब जनता के समक्ष है। गत दिवस इस गांव की ही सामाजिक कार्यकर्ता तथा इस वृत्तचित्र में गांव के नाम को ही सब कुछ बताने वाली मीनाक्षी त्यागी, बाल कल्याण परिषद से जुड़ी गांव की ही सरयू शर्मा, गृहणी कृष्णा देवी त्यागी तथा नीरज-परीक्षित त्यागी द्वारा म्हारा गांव गोविंदपुरी का पोस्टर व इस डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब पर रिलीज किया गया।

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Documentary on Gobindpuri Yamunanagar by Virender Tyagi

इस वृत्तचित्र का निर्माण गांव के ही विरेंद्र त्यागी द्वारा किया गया तथा निर्देशन प्रोफेसर राखी खोसला ने किया है। डॉक्यूमेंट्री में फोटोग्राफी विनोद साहनी तथा समीर चौहान द्वारा की गई। इसके अतिरिक्त गांव पर एक गीत गायिका आंचल आहूजा द्वारा गाया गया। इस फिल्म के माध्यम से दिखाया गया है कि गांव गोविंदपुरी के ब्राह्मण परिवार के सदस्य जो कि लगभग 1500 वर्ष पूर्व राजस्थान से माइग्रेट होकर यहां आए थे, ने किस प्रकार गांव व देश के विकास के लिए कार्य किया। गांव में रहने वाले सभी ब्राह्मण परिवार एक ही बुजुर्ग की औलाद हैं।

हालांकि गांव में अन्य जातियों के लोग भी रहते हैं और सभी में इतना अधिक भाईचारा है कि गांव के बाहर के लोग भी उनकी मिसाल देते हैं। यमुनानगर जिले का यह गांव गोविंदपुरी शुरू से ही दबंग व प्रतिष्ठित रहा है। वृत्त चित्र के माध्यम से दिखाया गया है कि किस प्रकार से गांव के बुजुर्गों ने देश की उन्नति में अपना अहम योगदान दिया। वृत्त चित्र के माध्यम से यह भी बताया गया है कि यमुनानगर शहर का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा गांव के बुजुर्गों की ही जमीनों में बसा हुआ है। इन जमीनों को या तो बुजुर्गों ने दान दे दिया था या सरकार ने इन्हें अधिग्रहण कर लिया था। बहुत सी जमीनों का मालिकाना हक अभी भी गांव के ही बुजुर्गों के नाम पर है।

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आने वाली पीढिय़ों को मिले बुजुर्गों की जानकारी : विरेंद्र त्यागी

फिल्म का निर्माण करने वाले वीरेंद्र त्यागी बताते हैं कि इस वृत्तचित्र को बनाने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य केवल यही था कि आने वाली पीढिय़ों को अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी मिले। उन्हंह यह पता लग सके कि किस प्रकार उनके बुजुर्गों ने देश की उन्नति में अपना अहम योगदान दिया।

त्यागी ने बताया कि इस वृत्तचित्र को बनाने के लिए उन्हें कई बार हरिद्वार के पंडो, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ के पंडों से भी मुलाकात करनी पड़ी और वहीं से उन्हें काफी हद तक इतिहास की जानकारी मिली। लगभग 200 वर्षों का इतिहास उन्हें इन स्थानों से मिला तथा इससे पूर्व का इतिहास गांव के ही बुजुर्गों से सुनने को मिला। जिसके आधार पर उन्होंने इस वृत्तचित्र का निर्माण किया। इस वृत्तचित्र के बनाने में गांव के लोगों का विशेष योगदान रहा।

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राजस्थान से आए थे बुजुर्ग

वृत्तचित्र में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार राजस्थान से आकर बुजुर्गों ने इस गांव को बताया। बताया गया है कि बलदेव ब गुलाब नाम के दो भाई थे। जिनमें से एक भाई बलदेव के वंशज गोविंदपुरी में वास करते हैं तथा दूसरे भाई गुलाब के वंशज उत्तराखंड के गांव नन्हेड़ा रुडक़ी में निवास करते हैं। आज भी इन दोनों गांव के लोगों में आपसी भाईचारा है तथा हर दुख सुख में दोनों ही गांव के लोग आपसे प्यार भाव से शामिल होते हैं।

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आने वाली पीढिय़ों तक इतिहास पहुंचाने का है प्रयास

म्हारा गांव गोविंदपुरी एक परिवार वृत्तचित्र की सभी सराहना कर रहे हैं। वृत्त चित्र के माध्यम से गांव की जानकारी देने वाले डा. कृष्णा पंडित पूर्व मंत्री, रवि दत्त त्यागी, सेवानिवृत्त अधिकारी शमशेर त्यागी, विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े अमृत पाल त्यागी, राकेश त्यागी, सरयू शर्मा, राकेश शर्मा काका, दीपक त्यागी, कुसुम त्यागी पूर्व पार्षद, मीनाक्षी त्यागी आदि का कहना था कि उन्हें गांव के बारे में जो जानकारी बुजुर्गों व अन्य सूत्रों से मिली थी।

वहीं जानकारी उन्होंने आगे अपने आने वाली पीढिय़ों को देने का प्रयास किया है। वृत्त चित्र को बनाने में गोबिंदपुरी वासी परीक्षित त्यागी, गौरव त्यागी, मनोज त्यागी, राकेश कुकुला, अजय त्यागी, अरुण त्यागी तथा अन्य गांव वासियों का विशेष सहयोग रहा है।

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