यमुनानगर (छछरौली)। छछरौली क्षेत्र में लगातार छह घंटे की बरसात ने लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। छछरौली से घाड क्षेत्र में जाने वाला सडक मार्ग शेरपुर मोड से डारपुर कई जगह से पानी सोम नदी के पानी से लबालब हो रहा है। इस बरसात के सीजन की यह पहला पानी बाढ का पानी है, जिसने बाढ बचाव राहत कार्यो की पोल खोल के रख दी है। छछरौली क्षेत्र के गांवों में सोम व पथराला नदियों के पानी ने जमकर तबाही मचाई हुई है। क्षेत्र की करीब सौ एकड फसल पूरी तरह से जलग्मन हो गई है।
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छछरौली क्षेत्र के गांव डमौली माजरा में खेतों के साथ साथ गांव के सरकारी स्कूल में बाढ का पानी घुस गया। इसी तरह से पथराला नदी के किनारे बसे गांव कोटडा कान सिंह में तीन चार घरों में नदी का पानी घुस गया। पथराला
नदी के पानी की वजह से हर साल करीब चार दर्जन गांव प्रभावित होते है जिनमें फसलों के साथ कई गांवों में भी पानी घुस जाता है। पथराला नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों का कहना है कि हर साल व धान की फसल बडी मेहनत करके तैयार करते है ओर बरसात में आने वाले बाढ के पानी की वजह से सब कुछ बर्बाद हो जाता है। इसी तरह क्षेत्र में खानूवाला हडौली तिहानो सलेमपुर खानपुर शाहपुर आदि गांवों में सोम नदी का पानी हर साल तबाही मचाता है। सोम नदी की पटडी हर साल बरसात में कही ना कही से टूट जाती है ओर पानी खेती की जमीन के साथ साथ गांवों में भी घुस जाता है। प्रशासन हर साल करोडों रूपये खर्च करके बाढ राहत कार्य करवाता है पर आज तक इन प्रभावित गांवों में बाढ का पानी घुसने से रोकने में कामयाब नही हो पाया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन मानकपुर गांव से लेकर सलेमपुर गाँव तक अगर गांव की साईड पक्की पटडी का निर्माण कराता है तो पानी आधा
दर्जन गांवों में नही घुस पायेगा। क्षेत्र के लोगों की दशकों से मांग है कि अगर यह गांव बाढ के पानी से प्रभावित होने से बचाने है तो पक्की पटडी का निर्माण सोम नदी पर कराना पडेगा अन्यथा हर साल गरीब किसान के घर व
फसलें इसी तरह से बर्बाद होती रहेगी।
रायपुर निवासी रविश व अमित व डमौली निवासी गोपाल का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही का खामीयाजा हर साल गरीब किसानों को भूगतना पड रहा है। करीब एक दशक से बरौली डमौली माजरा रायपुर के ग्रामीण पथराला नदी पर गांव की तरफ मजबूत पटडी बनाने की मांग कर रहें है पर कभी भी इसकी तरफ किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने आत तक ध्यान नही दिया है। डमौली गांव के स्कूल में हर साल बरसात व बाढ का पानी घुस जाता है। जिसकी वजह से स्कूल में कई दिन तक पानी ही खडा रहता है। जिससे स्कूल में पढने वाले बच्चे बिमारियों का शिकार होते है।
ये गांव होते है प्रभावित
हर साल बाढ के पानी से प्रभावित होने वाले जिनमें दौलतुपर, टिब्बी, टिब्बी अराईयां, बक्करवाला, हाफिजपुर, हाफजी, कोटडा कान सिंह, दादुपुर जाटान, दादुपुर सैनी, खानूवाला, लोप्पो, लेदी, तुगलपुर, लेदा, तिहानो,
सलेमपुर, खानपुर, हडौली, बरौली, माजरा, डमौली, रायपुर, तारूवाला, उर्जनी, दसौरा, दसौरी, याकूबपुर आदि गांवों की हर साल धान व गन्ने की पांच सौ एकड फसल बर्बाद हो जाती है। लोगों का कहना है कि पथराला ओर सोम नदी दोनों की पटडियों पर अगर स्थाई इंतेजाम प्रशासन द्वारा किये जाए तो यह बर्बादी रूक
सकती है।
दोनों नदियां मिलकर मचाती है तबाही
इन गांवों में बाढ के पानी से प्रभावित होने का एक बडा कारण यह भी है कि एक ही जगह पर लगभग पांच सात किलोमीटर के एरिया में दोनों नदियों का पानी या तो पटडी टूटने से सा ओवरफलो होने की वजह से नदियों से बाहर निकलकर सडकों खेतों में तबाही मचाता है। छछरौली क्षेत्र का हडौली व रायपुर डमौली बाढ के पानी की मार का मुख्य केन्द्र रहता है। इस जगह दोनों ही नदियों का पानी आता है। हडौली में सोम नदी व डमौली रायपुर में पथराला नदी का पानी आता है।
रिपोर्ट : कौसिक खान
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