मेरा पानी मेरी विरासत योजना

#यमुनानगर हलचल उपायुक्त मुकुल कुमार ने बताया कि जिला यमुनानगर में धान के स्थान पर वैकल्पिक फसले जैसे मक्का, कपास, बजारा, दलहन, सब्जियां व फल द्वारा विविधिकरण करने पर ”मेरा पानी मेरी विरासत योजना” के तहत किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है ।
उप कृषि निदेशक डॉ सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि लगातार धान उगाने से जल का भू-जलस्तर घटता जा रहा है जिससे आने वाले समय में पानी रूपी विरासत संकट में होगी। उन्होंने बताया कि धान फ सल में 18 से 20 सिंचाईया लगती है जबकि मक्का में 4 से 5 सिंचाई लगती है। अत: धान के स्थान पर मक्का लगाने पर लगभग 80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है । अत: सरकार ने पानी रूपी विरासत को बचाने के ”मेरा पानी मेरी विरासत योजना” शुरू की है जिसके तहत जो किसान धान के स्थान पर उपरोक्त फ सले लगाता है उसको 7000/- रू0 प्रति एकड़ की दर वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। ये फ सलें सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदी जायेगी । मक्का को सुखाने के लिए मण्डियों में मेज ड्रायर भी उपलब्ध होंगे। इसकेअतिरिक्त वैकल्पिक फ सल में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने पर 85 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि जो किसान वैकल्पिक फ सल लगाना चाहते है वह कृषि विभाग के पोर्टल ”मेरा पानी मेरी विरासत” पर अपना पंजीकरण करा सकते है । पंजीकरण करवाने के उपरान्त किसान को सम्बन्धित पटवारी से तसदीक करवानी होगी कि वह जिस खेत में वैकल्पिक फ सल लगा रहा है उसमें पिछले खरीफ  सीजन में धान लगाई थी । इसके उपरान्त वह फार्म अपने सम्बन्धित खण्ड़ कृषि अधिकारी कार्यालय में जमा करवा देंवें। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक जिला यमुनानगर में पोर्टल पर कुल 1605 किसान 1134 हैक्टेयर क्षेत्र में वैकल्पिक/अन्य फ सल बोने हेतू आवेदन कर चुके है। उन्होंने सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि उक्त योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठायें ।
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