पूर्व पुलिस महानिदेशक पृथ्वीराज बोले – उन्‍नत व विकसित राष्‍ट्र बनने के लिए होनी चाहिए विश्‍व स्‍तरीय योजनाएं एवं संसाधन

साढौरा में लोगों को संबोधित करते पूर्व पुलिस महानिदेशक पृथ्‍वी राज
साढौरा में लोगों को संबोधित करते पूर्व पुलिस महानिदेशक पृथ्‍वी राज

यमुनानगर। हम अपने राष्ट्र को उन्नत और प्रगतिशील बनाने के लिए समय समय पर अनेक योजनाओ को लागू होता हुआ देखते हैं लेकिन यदि हम देश को सही रूप में एक उन्नत और विकसित राष्ट्र की कल्पना करते हैं तो इसके लिए ये सभी योजनाए और संसाधन विश्व स्तरीय होने चाहिएं। और इसके लिए देश की राजनीति और आमजनता को धर्म, जाति, परिवारवाद को तिलांजलि देकर राष्ट्र निर्माण को ही लक्ष्य बनाना होगा, नही तो इन सब कुरीतियों के कारण बड़ी से बड़ी योजनाएं पूर्व में  भी विफल होती देकहि गयी हैं और यदि इसको दुरुस्त ना किया गया और सोच ना बदली गयी तो ये भविष्य में भी इसी प्रकार से विफल हो जाएंगी। उपरोक्त शब्द हिमाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिर्देशक एवं समाजसेवी पृथ्वीराज ने गांव महमूदपुर( साढौरा) में आयोजित एक बैठक में कहे। उन्होंने कहा कि आज सरकारें विभिन योजनाओं को लेकर आ रही हैं जो कि राष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित करने या दिखाने के उद्देश्य से लाई जा रही है जैसे अगर बुलेट ट्रेन को भारत मे चलाने की बात की जाए तो इससे कहीं ज्यादा जरूरी है भारतीय शिक्षा प्रणाली का विश्वस्तरीय शिक्षा प्रणाली के अनुरूप बनाया जाना। लेकिन अगर आज हम धरातल पर वास्तविकता देखें और भारतीय परिवेश में चल रहे पब्लिक स्कूलों और सरकारी स्कूलों के भवनों और संसाधनों का आकलन करें तो अंतर हमें स्पषतट: दिखाई देगा, जहां ये पब्लिक स्कूल उच्चतम स्तरीय संसाधनों के साथ लेस हैं वही सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए बैठने को टाट तक नही , अच्छे बेंच नही, कमरों की हालत और अध्यापकों से गैर शैक्षिक कार्य लेना ये सब सरकारी स्कूलों की दयनीय हालत बयान करते देखे जा ढकते हैं।
पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यही हालत सरकारी और निजी अस्पतालों के मध्य भी देखी जा सकती है, सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी लाइनें, एक बेड पर दो दो मरीजों को लेटा कर इलाज़ किया जाना, संसाधनों की कमी, दवाइयों की अनुपलब्धता, टेस्ट कराने के लिए मशीनरी की कमी के साढ़ साथ डॉक्टरों की कमी आदि ये सब हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। तो कैसे हम एक विकसित राष्ट्र होने का सपना देखते हैं या एक प्रगतिशील राष्ट्र की तरफ बढ़ने की और अग्रसर समझते हैं। इस सब के लिए समाज को जागरूक होना जरूरी है, आम जनता जब अपने लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं को नही मांगेगी और उसके लिए आंदोलन करने को उतारू नही होगी तब तक कुछ भी होने वाला नही है, उन्होंने कहा कि देश को आज़ाद करने वाले महापुरुषों ने भारत को लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए अपनी ज़िंदगियाँ कुर्बान की हैं तो हम सब का फर्ज बनता है कि हम भारत को लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाये रखने और समाज में भाईचारे को बढाने के लिए प्रयत्नशील रहें और देश में फैल रही धार्मिक और जातिवादी उन्माद को आपसी मेलजोल से समाप्त करें और ऐसा करने वालों को कानून के माध्यम से सबक भी दें। उन्होंने कहा कि यदि हम भारत में सभी संसाधन और सुधाएँ चाहते हैं और भारत की मूलभूत जरूरतें जैसे शिक्षा, स्वास्थ को विश्वस्तरीय बनाना चाहते हैं तो इसके लिए ईमानदार लोगों को राजनीति में लाना पड़ेगा और भाई भतीजावाद, जातिवाद, धर्म के नाम पर चलने वाली राजनीति को चलन से बाहर करना होगा।
इस अवसर पर सरपंच, सुरेश कुमार, दर्शनलाल गुज्जर, देसराज, ओमपाल, केसाराम, गुलाब सिंह, अमरजीत, देसराज पंच, सीता देवी, प्रवीण कुमार, चंदुराम, सीताराम, कृष्ना देवी आदि सैकफोन की संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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