Yamunanagar Hulchul : डीएवी गल्र्स कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की ओर से भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. मीनू जैन व मनोविज्ञान विभाग अध्यक्ष शालिनी छाबड़ा ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रतियोगिता में बी.कॉम प्रथम वर्ष की मोक्षिता ने पहला, बीए इंग्लिश ऑनर्स तृतीया वर्ष की हरगुन ने दूसरा तथा बी.कॉम प्रथम वर्ष की हर्षिता ने तीसरा स्थान अर्जित किया। बीए मनोविज्ञान ऑनर्स द्वितीय वर्ष की हरजौत कौर व बीए मॉस कम्यूनिकेशन प्रथम वर्ष की दिवांशी कांबोज को संयुक्त रूप से सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
शालिनी छाबड़ा ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान छात्राओं ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें ध्यान अपने मन को शांत करने का प्राकृतिक तरीका, दया और करूणा: दुनिया के लिए शांति और दिलों के लिए प्यार, खुशी आप पर निर्भर करती है, महिला बॉस: पुरुषों और महिलाओं पर इसका प्रभाव, परिवर्तन हमेशा प्रगतिशील नहीं होता विषय शामिल रहें।
मोक्षिता ने कहा कि मेडिटेशन की मदद से दिमाग में आने वाली नकारात्मक सोच से छूटकारा पाया जा सकता है। जिससे आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। मनोविज्ञान ऑनर्स द्वितीय वर्ष की छात्रा हरजोत कौर ने कहा कि दया करूणा मानवीय भावनाएं हैं, जो मानवता के मूल्यों को दर्शाते हैं। क्योंकि ये संवेदना की भावना को शामिल करते हैं। दिवांशी ने कहा कि खुशी स्वयं पर निर्भर करती है।
आपके पास क्या है और आप कौन है, इस पर खुशी निर्भर नहीं करती। हरगुन ने कहा कि महिला बॉस ज्यादा गंभीर व अपने दायित्वों के प्रति ज्यादा समर्पित होती है। पुरुषों का उनके कर्मचारी के तौर पर कार्य करना, उनके अहम और मानसिक अवेगों पर चोट लगना स्वाभाविक होता है। अधिकतर पुरुष कर्मचारी महिला बॉस के साथ काम करके खुश नहीं होते हैं। एमए योगा अंतिम वर्ष की सुशांत ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक, रक्षात्मक और राजनैतिक परिवर्तन हमेशा प्रगति को इगित नहीं करते।
निर्णायक मंडल में हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. विश्वप्रभा, समाजशास्त्र विभाग अध्यक्ष डॉ. सीमा सेठी, अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापिका रीटा सिंह व हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. दीपिका घई शामिल रहीं। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग की प्राध्यापिका डॉ. सुमन कुमारी, मिनाक्षी सैनी व रतना ने सहयोग दिया।