वट्सएप पर वायरल हुई झुठी खबरों की वजह से देश में जा चुकी है २९ लोगों की जान….

खबरों की प्रामाणिकता के लिए सही मूल्यांकन जरूरी: डा. अशोक
डीएवी गल्र्स कॉलेज में ऑन लाइन फैक्टस चैकिंग एंड वेरीफिकेशन विषय हुई वर्कशाप
यमुनानगर। सोशल मीडिया पर फैली झुठी खबरों की वजह से देश में कई जगहों पर दंगें हुए हैं। जब तक खबरों की प्रमाणिकता का सही प्रकार से मूल्याकंन नहीं किया जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक वट्सएप पर वायरल हुई झुठी खबरों की वजह से देश में २९ लोगों की जान जा चुकी हैं। जो कि चिंता का विषय है। उक्त शब्द कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन एवं मीडिया टेक्नोलॉजी विभाग से आए असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अशोक शर्मा ने डीएवी गल्र्स कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार तथा कंप्यूटर साइंस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ऑन लाइन फैक्टस चैकिंग एंड वेरीफिकेशन विषय पर आयोजित वर्कशाप में कहे।
कॉलेज की कार्यवाहक प्रिंसिपल डा. विभा गुप्ता, कंप्यूटर साइंस विभागाध्यक्षा डा. रचना सोनी तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष परमेश कुमार ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डा. शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया (फेसबुक तथा वट्सएप) में आए दिन वायरल हो रही झूठी खबरें पत्रकारिता तथा समाज के लिए आज चुनौती बन चुकी है। वर्ष २०१६ में हुए एक सर्वे के मुताबिक देश का ४४ प्रतिशत युवा फेसबुक से जानकारी प्राप्त कर रहा है। जबकि वट्सएप पर २४ प्रतिशत निर्भर है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी सोच का स्तर किस प्रकार का होगा। आज टेक्टनोलॉजी के जरिए भीड़ को भडक़ाने का काम किया जा रहा है। झूठी व सच्ची खबर में क्या अंतर है, आज इसे समझने की बेहद जरूरत है।
लोगों की सोच में तब्दीली करने के लिए आज सोशल मीडिया को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल झूठी फोटोज़ व विडियों को हम वैरीफाई किए बैगर आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। जिसकी वजह से कई बार देश में दंगें भी भडक़ चुके हैं। बाबा राम रहीम के एक्सीडेंट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वर्ष २०११ में हुई घटना को २०१७ में वॉयरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर विडियो के साथ जो कैप्शन लिखा जाता है, वह सब प्लानिंग का हिस्सा है। जिस कारण किस बात को किस संदर्भ में प्रस्तुत किया जा रहा है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिलती। आम आदमी व युवा विश्वास कर लेते हैं कि सोशल मीडिया से उन्हें जो खबरें मिल रहीं हैं, वे सब सही है। टेक्नोलॉजी की वजह से आज युवाओं के विचारों में तब्दीली आ चुकी है। गलत जानकारी की वजह से लोग गुमराह हो रहे हैं। आज सोशल मीडिया पर जानकारी को मनोरंजन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। विडियो व फोटो बाहर के देशों की होती है और उन्हें भारत का बता कर वायरल कर दिया जाता है। डा. शर्मा ने बताया कि गुलग क्रोम में गुगल रिवर्स इमेज सर्च, सर्च बाई इमेज, टीनआई इत्यादि के जरिए फोटो व विडियो को वैरीफाई किया जा सकता है। टाइम टूल के जरिए पता लगाया जा सकता है कि वह फोटो कब खिंची गई। ऑब्जर्वेशन के जरिए सही गलत का पता लगाया जा सकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में पत्रकारिता विभाग की प्राध्यापिका सुखजीत कौर, कंप्यूटर साइंस विभाग की प्राध्यापिका आरती, उपासना, आंचल, रूबी, देवेंद्र कौर ने सहयोग दिया।

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