पंच प्राणायाम तथा प्राण आपान मुद्राओं से भी किया जा सकता है नेत्र रोगों का निवारण

यमुनानगर। डीएवी कॉलेज फॉर गल्र्स में संस्कृत विभाग और प्राच्य विद्या विभाग के संयुक्त तत्वावधान में नेत्र रोग: लक्षण, कारण और निवारण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रिंसिपल डा. विभा गुप्ता तथा संस्कृत विभागाध्यक्षा डा. इंदू नारंग ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की। आयुर्वेदाचार्य डा. सचिन बक्शी मुख्य वक्ता रहे। कार्यशाला में १५० से ज्यादा छात्राओं ने भाग लिया।

डा. बक्शी ने छात्राओं को प्रचीन विधाओं के दृष्टिकोण से नेत्र रोग के लक्षण, कारण और निवारण विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आयुर्वेद की परिभाषा बताते हुए २२ प्रकार के नेत्र रोगों के बारे में विस्तार से व्याख्यान दिया। दृष्टि दोषों के अंतर्गत समीप दृष्टि, दूर दृष्टि, मोतियाबिंद आदि रोगों के लक्षण, कारण तथा सटीक घरेलू उपायों के द्वारा निवारण का वर्णन किया। नेत्र दृष्टि की वृद्धि के लिए त्रिफला, शहद, एलोविरा, बादाम, काली मिर्च आदि औषधियों के गुण, धर्म की चर्चा की। उन्होंने छात्राओं को बताया कि पंच प्राणायाम तथा प्राण आपान आदि मुद्राओं के द्वारा भी नेत्र रोगों का निवारण किया जा सकता है।प्राच्य विद्या विभाग के प्राध्यापक डा. मुकेश शर्मा ने आयुर्वेद के साथ ज्योतिष विद्या के संयोग की आवश्यकता पर व्याख्यान दिया। प्राध्यापिका सोनिया ने यज्ञोपैथी में औषधियों के मिश्रण द्वारा हवन करने से नेत्र रोगों के नियंत्रण का वर्णन किया।
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