हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में डीएवी कॉलेज में हुआ कार्यक्रम
यमुनानगर। संपूर्ण विश्व में हिंदी भाषा दूसरे स्थान पर बोली, पढ़ी, लिखी व समझी जाती है। विश्व के २०० विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन अध्यापन कार्य हो रहा है। भाषा और संस्कृति ही मानव जीवन का आधार है। उक्त शब्द डीएवी कॉलेज पुंडरी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. कृष्ण चंद रल्हण ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में डीएवी गल्र्स कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहे।
कार्यक्रम के दौरान निंबध व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। कॉलेज की कार्यवाहक प्रिंसिपल डा. विभा गुप्ता तथा हिंदी विभागाध्यक्षा डा. विश्वप्रभा ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
रल्हण ने कहा कि विद्वता हमेशा अपनी भाषा से आती है। हम अपनी बात को जितने सुंदर और सरल ढंग से अपनी भाषा में अभिव्यक्त कर सकते हैं, अन्य किसी भाषा में नहीं। हर बच्चे में प्रतिभा होती है। उसे अभ्यास द्वारा तरासने की आवश्यकता है।
ज्ञान दो प्रकार से आता है-अध्यन और अभ्यास, जिसके पास दोनों गुण है, वही व्यक्ति सफल है। उन्होंने महाभारत, गीता, रामचरित मानस और स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो भाषण का उदाहरण देते हुए बच्चों को शिक्षा, शिक्षक और भाषा का सम्मान करने का आह्वान किया। अपने पूरे मन मस्तिष्क से पागलपन की हद तक कर्म करो, सफलता अवश्य मिलेगी। बीएससी की छात्रा अनुष्का ने मेरे जख्मों को खुद समझो, जुबानी क्या कहूं अपनी कविता के माध्यम से हिंदी भाषा की दशा और दिशा को बड़े ही सुंदर शब्दों में व्यक्त किया। मंच संचालन हिंदी विभाग की प्राध्यापिका रवि नंदिनी ने किया। मौके पर डा. किरन शर्मा, डा. दीपिका घई, डा. गुरशरन कौर, डा. आशा बजाज, डा. इंदू नारंग व सोनिया उपस्थित रहीं।
इस प्रकार रहा परिणाम-
निबंध प्रतियोगिता में एम.कॉम अंतिम वर्ष की हिमानी ने पहला, बीएससी द्वितीय वर्ष की अदिति महाजन ने दूसरा तथा एम.कॉम अंतिम वर्ष की नीशू कांबोज ने तीसरा स्थान अर्जित किया। बीएससी अंतिम वर्ष की साक्षी गुप्ता को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। भाषण प्रतियोगिता में बी.कॉम तृतीय वर्ष की श्रेया गोयल ने पहला, अंबिका ने दूसरा तथा बीए द्वितीय वर्ष की निशांत ने तीसरा तथा बीएससी अंतिम वर्ष की अनुष्का त्यागी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।