यमुनानगर हलचल। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा गांव दोहली में यथास्थान फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. एन.के गोयल ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु विकल्प चुनने पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा फसल के अवशेषों को खेत में ही मिलाना मृदा स्वास्थ्य व मानव स्वास्थ्य तथा बायोडायवर्सिटी के संरक्षण हेतु एक अच्छा उपाय भी है बजाय कि इसे जलाया जाए और पोषक तत्वों को व्यर्थ में नष्ट किया जाए जिसके बहुत नुकसान भी हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. संदीप रावल ने किसानों को गेहूं की हैप्पी सीडर व जीरो टिल ड्रिल के द्वारा बिजाई के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक बताया उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर द्वारा तो धान की कटाई के तुरंत बाद ही गेहूं की बिजाई की जा सकती है तथा जीरो टिल ड्रिल द्वारा गेहूं की बिजाई अवशेषों को खेत में मिलाकर की जानी चाहिए जिससे बिजाई करने के दौरान फसल अवशेष बिजाई के समय बाधा उत्पन्न ना करें तथा उन्होंने सुपर सीडर द्वारा बिजाई के फायदे व नुकसान के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर द्वारा बिजाई करने पर फसल के अवशेष तो खेत में मिल जाते हैं लेकिन फसल अवशेषों को गलाने के लिए नाइट्रोजन की अधिक मात्रा इस्तेमाल हो जाती है तथा बोई गई फसल को नाइट्रोजन की कमी झेलनी पड़ती है। इस वजह से गेहूं पीला हो जाता है तथा महंगी मशीनरी होने के कारण छोटे किसान के लिए लाभदायक नहीं है।
शिक्षण सहायक डॉ.करण सैनी ने किसानों को बताया कि फसल अवशेषों को कंपोस्ट बनाने में इस्तेमाल करें तथा इस कंपोस्ट का इस्तेमाल सब्जी उत्पादन में किया जाए तो सब्जी के उत्पादन में वृद्धि होगी साथ ही साथ जैविक सब्जियां भी कंपोस्ट की सहायता से उगाई जा सकती हैं जो किसान के लिए आय का एक अच्छा स्रोत हैइस अवसर पर गांव के लगभग 40 प्रगतिशील किसानों ने हिस्सा लिया तथा गांव के पूर्व सरपंच सुरेश कांबोज भी उपस्थित रहे।