यमुनानगर। आवामी एकता मंच ने विभिन्न संगठनों को अपने साथ जोड़ते हुए सांप्रदायिक दंगों में भगत सिंह के विचारों पर चर्चा की। संगठन के राज्य अध्यक्ष संजीव वालिया ने बताया कि आज देश में सांप्रदायिक दंगे चरम सीमा पर हैं इन को रोकना बहुत जरूरी है। इसलिए सभी संगठनों को एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ना होगा।सुरिंदर पाल सिंह ने बताया कि हमारा देश सदियों से विभिन परम्पराओं और संस्कृतियों का संगम है। कितनी ही नस्लें हमारे यहां आई और यही की होकर रह गई। यही हो समाज की खूबी है। यहां अगर मनुस्मृति के नाम पर समाजिक धार्मिक श्रेष्ठता बोध निमता का प्रचार हुआ तो बुद्ध, महावीर, नानक, कबीर, और सूफी फकीर भी हुए हैं जिन्होंने मानवता को सबसे ऊंचा दर्जा दिया। हमारे देश और समाज की सबसे बड़ी विशेषता है कि अलग अलग ही नहीं बल्कि एक दूसरे को विरोधी विचारधाराओं का असतित्व यहाँ सदियों से रहा है और उनको समान मान्यताता देता रहा है। मंदिर और मूर्तिपूजा में आस्था रखने वाले भी है ॥ मूर्तिपूजा का विरोध करने वाले भी है। विभिन रूपों में आवाज भी उठती रही है।आजादी की लड़ाई में केवल अंग्रेजों को देश से भगाने की मांग नहीं थी बल्कि भारत कैसा हो इसके लिए मूल्यों के निर्माण की प्रक्रिया भी साथ साथ चली ।भगत सिंह के भांजे प्रोo जगमोहन ने बताया कि 1857 की बगावत में हिन्दू और मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर लड़े। भगत सिंह और उनके साथी शोषण और प्रगतिशील समाज के सपने के लिए फाँसी के फन्दों को चूम गए। इस सबके बावजूद आज हम एक ऐसे दौर में है जहाँ ये डर लग रहा है कि हमारे संवैधानिक मूल्य , हमारी सबसे विशेषता बहुलतावाद, आपसी मेलजोल, हमारा सांस्कृतिक साझपन बच पाएगा कि नहीं। आज युवाओं को अर्ध सत्य बता कर धोखे में रखा जा रहा है। देश की जनता की मूलभूत समस्याओं के समाधान से अब सत्तापक्ष हाथ खड़े कर चुका है। बेरोजगारी, किसानी का संकट, कानून व्यवस्था महंगाई बगेहरा का एक ही ईलाज इनकी समझ का हिस्सा बन चुका कि किस प्रकार सारे आक्रोश को धर्म और जाति की नफरत की नाम पर मोड़ दिया जाए। लोगो को कभी हिन्दू- मुसलमान तो कभी दलित, राजपूत, जाट के नाम पर आपस में लड़ाया जा रहा है।
आवामी एकता मंच ने भगत सिंह के विचारों पर की चर्चा
मंच का संचालक अंकित त्यागी ने किया कार्यक्रम में अम्बेडकर युवा मंच से सोहिल साडोरा, स्वराज अभियान से सुमित पाल सिंह, भगत सिंह मोर्चा से रणधीर सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता जॉनी पोसवाल, बुढ़िया से पीर जी, शहीद भगत सिंह मंच से सम्राट,
कैत गाव के सरपंच जहूर हसन, यूथ फॉर स्वराज से सौरभ राणा।सामाजिक कार्यकर्ता मनदीप सिंह, अरविंदर सिंह खालसा, प्रिया शर्मा, दिलीप दड़बा, विक्रम कश्यप, आदि शामिल थे।