बिलासपुर हलचल। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे भारत की प्राचीन संस्कृति से जुड़ी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की परियोजना के लिए बेहतर तालमेल से कार्य करें। उन्होंने हरियाणा सरस्वती विकास बोर्ड और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे 31 मार्च 2021 तक इस परियोजना की टैकनिकल ड्राईंग तैयार करने का कार्य पूरा करें। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रत्तनलाल कटारिया इस परियोजना के लिए केन्द्र सरकार से मिलने वाले हर सहयोग में दोनों राज्यों के अधिकारियों के सम्पर्क में रहेंगे।
श्री शेखावत आज आदिबद्री में वन विभाग के सर्किट हाऊस में हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में केन्द्रीय जल शक्ति एवं सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्यमंत्री रत्तनलाल कटारिया, हरियाणा के शिक्षा एवं वन मंत्री कंवर पाल, कुरूक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी, हरियाणा पब्लिक इंट्ररपाईजिज के चेयरमैन सुभाष बराला, यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, सढ़ौरा के पूर्व विधायक बलवंत सिंह, हरियाणा व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष राम निवास गर्ग, भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश सपरा, भाजपा नेत्री बंतो कटारिया, नाहन के विधायक राजीव बिंदल, हरियाणा सरस्वती विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष घूमन सिंह किरमच, अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह, उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक कमलदीप सिंह गोयल सहित हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठï अधिकारी व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
केन्द्रीय मंत्री सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने अपने करकमलों से सरस्वती स्नान सरोवर के तट पर पौधारोपण किया और सरस्वती स्नान सरोवर पर विधिवत पूजा अर्चना की। इस सरोवर में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों की 421 नदियों के जल के क्लश को सरस्वती में प्रवाहित किया। इससे पूर्व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री व अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सरस्वती उद्गम स्थल पर पूजा अर्चना भी की। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने आदिबद्री नारायण मंदिर व श्री केदारनाथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि परियोजना के प्रथम चरण में हरियाणा और हिमाचल के क्षेत्र में दो डैम तैयार किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत की सभ्यता का विकास सिन्धू सभ्यता से जुड़ा है और यह सभ्यता सरस्वती नदी के किनारे पर ही पनपी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने इस प्राचीन धरोहर को पुर्नजीवित करने का प्रकल्प लिया है और इसके लिए इसरो व अन्य वैज्ञानिक और भूगोलिक शोध के दौरान सरस्वती नदी के बहने के रास्ते व इससे जुड़े अन्य पहलूओं के साक्ष्य जुड़ाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रदेश में 200 किलोमीटर तक इस नदी में जल प्रवाह की कार्य योजना पर काम किया जा रहा है और सरस्वती नदी के साथ-साथ मेरे गृह क्षेत्र राजस्थान के जैसलमेर व गुजरात के कच्छ इत्यादि क्षेत्रों में भी मौजूद है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना जल संरक्षण, सिंचाई, पेयजल के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। इसके उपरांत उन्होंने सरस्वती नदी की खोज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जगाधरी निवासी दर्शन लाल जैन के निवास स्थान पर उनसे भेंट की और उनका कुशलक्षेम पूछा।
इससे पूर्व सिंचाई विभाग हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र ङ्क्षसह व अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक ने केन्द्रीय मंत्री व उपस्थित मंत्रियों को पावर प्रजैन्टेशन के माध्यम से सरस्वती नदी के साक्ष्यों और सरस्वती विकास बोर्ड हरियाणा द्वारा इस परियोजना पर किए गए कार्यों की जानकारी दी गई। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि इस परियोजना के लिए मुख्यमत्री मनोहर लाल ने हरियाणा और हिमाचल सरकारों में एमओयू तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं और दोनों सरकारों ने इस पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि इस नदी के लिए हिमाचल प्रदेश क्षेत्र से 20 क्यूशिक जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और इसके लिए काठगढ़ क्षेत्र में 400 एकड़ पंचायती भूमि पर जल भण्डारण परियोजना भी तैयार की जा रही है। हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों ने हिमाचल क्षेत्र में मारकण्डा नदी के बरसाती जल को भी सरस्वती परियोजना से जोडऩे का सुझाव दिया।