यमुनानगर। श्रीराम कला मंदिर करेड़ा खुर्द द्वारा गांव की पावन लीलाभूमि पर स्थानीय रामलीला महोत्सव के आठवें दिन नंदीग्राम का भावमय नाट्य मंचन किया गया। इस दौरान देर रात तक भक्तप्रेमी सुखद लीला के आनंद-सागर में डूब रहे। लीला से पूर्व मां संतोषी की सुंदर झांकी ने दर्शकों को भीतर तक भक्तिरस का सोममय पान कराया।
इस अवसर पर महात्मा भरत की भूमिका निभाने वाले हेमंत मानिकटाहला ने कहा कि रामायण भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति की आत्मा है। रामायण के पठन-पाठन से पारिवारिक, सामाजिक व सांस्कृतिक एकता को बल मिलता है। परिवार के बड़े-बुजुर्गों को चाहिए कि बच्चों को इस पावन लीला का मंचन जरूर दिखाएं ताकि वे सनातन भारतीय संस्कृति से अवगत हो सकें। आज के मंचन में भरत मिलाप के दूसरे चरण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम आदिशेष लक्ष्मण व जानकी सीता से मधुर वचनों में कहते हैं कि भ्राता भरत की दृढ़ता, स्वभाव और मीठी वाणी अद्वितीय है। महात्मा भरत जैसे महापुरुष युगों-युगों में कभी-कभार ही जन्म लेते हैं। यहीं पर कल्याणमयी लीला की पहली आरती होती है।
प्रथम दृश्य के पश्चात् आध्यात्मिक राजा जनक अयोध्यावासियों के लिए राजपाट संभालने को कहते हैं। भ्रातृ -भक्त भरत अपने सेवकों से कहते हैं कि हम सब महाराज राम के सेवक हैं और सेवक को हर पल ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे स्वामी को झूठा न बनना पड़े। अपने स्वामी की मान-मर्यादा ज्ञान सदृश पवित्र बनी रहे। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पाकर कैकयीसुत भरत नारायणावतार श्रीराम की खड़ाऊं को पूरे विधि-विधान व मंत्रोच्चारण के साथ राज सिंहासन पर स्थापित करते हैं। फिर नंदीग्राम में पर्णकुटी बनाकर 14 वर्षों के लिए निवास करते हैं। यहीं पर श्रीभरत की आरती के साथ सुखदाई लीला को विश्राम दिया जाता है। श्रीराम का अभिनय क्लब के सह-डायरेक्टर पारस मानिकटाहला, लक्ष्मण का राकेश कश्यप, सीता का पंकज, भरत का हेमंत मानिकटाहला, शत्रुघ्न का शुभम, जनक का कमलजीत व वशिष्ठ का मोहित शर्मा ने बखूबी निभाया। पर्दे के पीछे के कलाकारों में पूर्व सरपंच अनिल शर्मा, प्रधान अशोक मानिकटाहला, डायरेक्टर मदन शर्मा, मंच संचालनकर्त्ता सोनू मक्कड़, वालंटियर नीरज मानिकटाहला, पप्पी मक्कड़, रामकुमार, राजू खरबंदा, रोहित शर्मा, राजा, चैतन्य, अदरीस अहमद, अतिरेक मसीह, सुरेंद्र शर्मा, योगेश ग्रोवर, अशोक शर्मा, दीपक शर्मा, शिवशंकर आदि ने व्यवस्था का संचालन बनाये रखा।