श्रीराम कला मंदिर करेड़ा खुर्द की 50वीं अनुपम भेंट में पावन रामलीला के तीसरे दिन सीता स्वयम्वर- धनुष यज्ञ प्रसंग का मनभावन नाट्य मंचन हुआ। इस अवसर पर क्लब डायरेक्टर मदन शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए कहा कि श्रीराम सम्पूर्ण मानव जाति के लिए आदर्श हैं। मौजूदा समय में रामलीला का नाट्य मंचन भारतीय जनमानस को पारिवारिक व सामाजिक आदर्श संस्कृति और नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित करना है। लीला से पूर्व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व आदिशेष लक्ष्मण की सुंदर झांकी ने पूरे पांडाल में समां बाँध डाला। श्रीरामचरितमानस के भावपूर्ण प्रसंग में प्रभु श्रीराम के धनुष तोड़ने पर जनकनंदिनी सीता दशरथनन्दन राम के गले में जयमाला डालकर उनका वरण करती हैं। इस आनंदोत्सव के समय दर्शकों ने राम और सीता पर पुष्प-वर्षा करते हुए जय सियाराम के जयकारे लगाए जिससे संपूर्ण वातावरण राममय हो गया।
माता सीता के स्वयंवर में दूरदराज के राजा, महाराजा, राजकुमार और योद्धा शामिल हुए। सभी ने भगवान् आशुतोष के धनुष को उठाने की कोशिश की। उठाना तो दूर; वे इसे हिला तक न सके। अंत में महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से कौशल्यावत्स राम उठे और धनुष को उठा कर ज्यों ही प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश ही की कि धनुष पलभर में ही टूट गया। धनुष टूटने और श्रीराम के कंठ में भूमिजा सीता के वरमाला डालते ही आकाश मार्ग से समस्त देवताओं ने रंग-बिरंगे दिव्य पुष्पों की वर्षा की।
इसी बीच शिव धनुष के टूटने के संकेत से परशुराम अत्यंत क्रोधित हो गए और वह राजदरबार पहुंच गए। परशुराम और सुमित्रापुत्र लक्ष्मण के बीच हुए तीखे संवाद का भी लीलाप्रेमियों ने खूब आनंद लिया। अंत में राम की विनम्रता के समक्ष परशुराम नतमस्तक हो गए। कल्याणकारी रामलीला में धनुष यज्ञ के इस मधुर प्रसंग को देखने के लिए रामभक्त भारी तादाद में पहुंचे। यह प्रसंग इतना भावपूर्ण था कि दर्शक देर रात तक भक्तिरस में डूबे रहे । राम का अभिनय पारस मानिकटाहला, लक्ष्मण का राकेश कश्यप, सीता का पंकज, रावण का शिव शंकर, वशिष्ठ का मोहित शर्मा, जनक का कमलजीत व परशुराम का योगेश ग्रोवर ने बेहद संजीदगी से निभाया। पर्दे के पीछे के कलाकारों में नवदीप छाबड़ा, हेमंत मानिकटाहला, सोनू मक्कड़, चैतन्य मानिकटाहला, दिव्यांशु मनन, मंगा मक्कड़, सुरेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, रोहित शर्मा, निखिलेश चौधरी, राजू खरबंदा आदि का भी योगदान रहा। इस मौके पर क्लब चीफ एडवाइजर अनिल शर्मा, प्रधान अशोक मानिकटाहला, कॉपी सेवक नीरज मानिकटाहला, पप्पी मक्कड़, रोहित शर्मा, रामकुमार आदि भी मौजूद थे।
इसी बीच शिव धनुष के टूटने के संकेत से परशुराम अत्यंत क्रोधित हो गए और वह राजदरबार पहुंच गए। परशुराम और सुमित्रापुत्र लक्ष्मण के बीच हुए तीखे संवाद का भी लीलाप्रेमियों ने खूब आनंद लिया। अंत में राम की विनम्रता के समक्ष परशुराम नतमस्तक हो गए। कल्याणकारी रामलीला में धनुष यज्ञ के इस मधुर प्रसंग को देखने के लिए रामभक्त भारी तादाद में पहुंचे। यह प्रसंग इतना भावपूर्ण था कि दर्शक देर रात तक भक्तिरस में डूबे रहे । राम का अभिनय पारस मानिकटाहला, लक्ष्मण का राकेश कश्यप, सीता का पंकज, रावण का शिव शंकर, वशिष्ठ का मोहित शर्मा, जनक का कमलजीत व परशुराम का योगेश ग्रोवर ने बेहद संजीदगी से निभाया। पर्दे के पीछे के कलाकारों में नवदीप छाबड़ा, हेमंत मानिकटाहला, सोनू मक्कड़, चैतन्य मानिकटाहला, दिव्यांशु मनन, मंगा मक्कड़, सुरेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, रोहित शर्मा, निखिलेश चौधरी, राजू खरबंदा आदि का भी योगदान रहा। इस मौके पर क्लब चीफ एडवाइजर अनिल शर्मा, प्रधान अशोक मानिकटाहला, कॉपी सेवक नीरज मानिकटाहला, पप्पी मक्कड़, रोहित शर्मा, रामकुमार आदि भी मौजूद थे।