गोपाल मंदिर के समीप श्रीराम कला मंदिर करेड़ा खुर्द की ओर से पावन रामलीला स्थल पर दूसरे दिन स्थानीय कलाकारों द्वारा श्रीराम जन्म एवं सीता जन्म लीला का मनोहारी नाट्य मंचन किया गया। कलाकारों के सजीव मंचन से दर्शक भाव- विभोर हो गए। मंचन से पूर्व नीलकंठ शिव परिवार की बेहद शानदार झांकी ने श्रद्धालुओं को भक्तिरस में बांधे रखा। आज के मंचन में क्लब के चीफ एडवाइज़र और पूर्व सरपंच अनिल शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की । उन्होंने कहा कि दशरथनंदन श्रीराम की आदर्श लीला भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति का आधार है।
आधुनिक समय में हर घर में धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन होना चाहिए। इससे परिवार व समाज में शांति का माहौल बना रहता है और बच्चे सात्त्विक प्रवृत्ति के बनते हैं। आज की प्रभुलीला में दिखाया गया कि पावन नगरी अयोध्या के राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए गुरूवर वशिष्ठ जी से विचार-विमर्श किया। गुरू वशिष्ठ जी की सलाह पर भूपति दशरथ ने यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के पश्चात् उन्हें चार पुत्र-रत्नों श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न की प्राप्ति हुई। जैसे ही अवध में नारायणावतार प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ तो चहुँ ओर खुशियां छा गई। साकेतवासी गाने बजाने लगे, मिठाई बांटी गई एवं आतिशबाजी की गई। सीता जन्म की लीला में जनकपुरी के अधिपति जनक के राज्य में कई वर्षों से जल वर्षा नहीं हुई। कृषक वर्ग में त्राही-त्राही मच गई।
सभी धरतीपुत्र एकत्रित होकर राजा जनक से फरियाद करते हैं कि राजा जनक स्वयं अपने हाथों से हल चलायेंगे तो राज्य में पानी बरसेगा और किसानों में प्रसन्नता होगी। राजा जनक स्वयं हल चलाने को तैयार हो गए। ज्यों ही प्रजा हितैषी जनक हल चलाते हैं त्यों ही भूमि में से एक मंजूषा निकलती है। जब मंजूषा को खोला गया तो उसमें से एक सुन्दर कन्या मिलती है। सीता जन्म के इस मनमोहक दृश्य को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। पूरा पांडाल जय सियाराम- जय सियाराम की पीयूष ध्वनि से गूंज उठा। लीला के पश्चात् कश्यप परिवार ने समस्त कलाकारों के लिए रात्रि भोज की सेवा दी और 5100/- प्रभु चरणों में अर्पित किए। दशरथ का रोल क्लब डायरेक्टर मदन शर्मा, वशिष्ठ का मोहित शर्मा, जनक का योगेश ग्रोवर और सुमंत का कमलजीत ने बखूबी निभाया। इस मौके पर क्लब प्रधान अशोक मानिकटाहला, चीफ एडवाइजर अनिल शर्मा, डायरेक्टर मदन शर्मा, सह- डायरेक्टर पारस मानिकटाहला, खजांची महेंद्र सिंह मक्कड़, सुरेंद्र शर्मा, राकेश कश्यप, चैतन्य मानिकटाहला, रेशव अरोड़ा बिलासपुर,अशोक शर्मा, दीपक शर्मा, अशोक सैनी, पंकज गोगियान, मंगा मक्कड़, राजू खरबंदा आदि का नाट्य मंचन में खास सहयोग रहा।