यमुनानगर। किसानों के ऊपर जो कार्यवाही up गेट दिल्ली में की गई उसकी भारतीय किसान संघ हरियाणा प्रदेश घोर निंदा करता है । किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर हरिद्वार से राजघाट दिल्ली तक पैदल यात्रा निकाल रहे थे । किसान 2 अक्टूबर को दिल्ली राजघाट जाना चाहते थे लेकिन उनको रोका तो गया ही साथ ही उनके ऊपर वाटर कैनन ,लाठी चार्ज, आंसू गैस और रबड़ की गोलियां चलाना दुर्भाग्यपूर्ण है ।किसानों के ऊपर इस प्रकार की कार्यवाही इस बात को दर्शाती है कि अगर किसान अपने हको के लिए अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते है तो यह किसान विरोधी सरकार उनके प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने और किसानों को कुचलने का काम करेगी सरकार के इस कृत्य की जितनी निंदा की जाए कम है सरकार को तो अन्नदाता का एहसान मानना चाहिए कि इतनी परेशानियों के बावजूद भी इस देश के किसान ने खेती करना नही छोड़ा इतनी उपेक्षाओं के बाद भी मेहनत करके अपने देश के लोगो के लिए अन्न पैदा करता रहा और हमेशा देशहित में अपने बेटों को भी सरहद पर तुफानो से लड़ने के लिए भेजता रहा है ।किसान सिर्फ राजघाट तक जाकर अपनी मांगे सरकार तक रखना चाहते थे सरकार ने किसानों को उनके ही बेटो के साथ लड़वाने का काम किया अगर सरकार को किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना था तो क्यों जब किसान हरिद्वार से चले थे उनके साथ शासन और प्रशासन ने बात करनी उचित नही समझी क्यों किसानों को इतना आगे बढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ा अगर सरकार समय रहते किसानों से बात करती तो इस टकराव से बचा का सकता था। भारतीय किसान संघ साथ ही इस बात पर भी प्रकाश डालना चाहता है कि सितंबर 2013 में किसान संघ के नेतृत्व में रामलीला मैदान में 2 लाख किसान इकठा हुए थे लेकिन कोई भी हिंसक घटना नही हुई थी और राष्ट्रपति ने भी किसानों को मिलने का समय दिया था इस बात की नैतिक जिम्मेदारी नेतृत्व की भी बनती है कि वो किसानों को टकराव से बचाये ओर किसी भी रूप में अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक ना होने दे ।भारतीय किसान संघ हरियाणा प्रदेश किसानों की इन मांगों का समर्थन करता है और किसानों के ऊपर हुई कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करता है ।