पाठ्यक्रम में पिछड़े व तनाव से ग्रसित हुए बच्चे व अध्यापक
यमुनानगर। हरियाणा राज्य अध्यापक संघ (स बन्धित हरियाणा कर्मचारी महासंघ) के प्रांतीय प्रधान प्रदीप सरीन व प्रांतीय चेयरमेन कुलभूषण शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शिक्षा विभाग व सरकार का सक्षम सक्षम का खेल अध्यापकों व विद्यार्थियों को डिप्रेशन में ले जा रहा है। विद्यार्थियों का नियमित पाठ्यक्रम पिछड़ रहा है। अध्यापको में किसी भी तरह का काम हो उसके लिए सभी को अध्यापक ही दिखाई देते हैं जैसी भावना मुखर हो रही है। अध्यापकों से बंधुआ मजदूरों सा व्यवहार हो रहा है। सेट, मेट, एलईपी, तरह तरह के टेस्ट के नाम पर कितने ही एनजीओ व प्रिंटिंग उद्योग धन लुटाया जा रहा है। अधिकारी भी सक्षम बनाने की जुगत में शिक्षाविदों व अध्यापक यूनियनो के नेताओं साथ बिना कोई तालमेल किये फरमान पर फरमान जारी किए जा रहे हैं। सक्षम के नाम पर 8 बजे से 4 बजे सायं तक विद्यालय में अतिरिक्त कक्षायें लगाने से पहले ये सोचा ही नही की इस तरह बच्चों को विद्यालय में रोकने पर किसी प्रकार की दुर्घटनाओं के जोखिमो के लिए जि मेदार कौन होगा।
अध्यापक संघ के पदाधिकारियों ने फील्ड से अध्यापकों के साथ स पर्क के दौरान हुई चाचाओं में अध्यापको ने इस बारे कुछ प्रश्न खड़े किये हैं व कुछ सुझाव भी दिए है।
1. भिवानी बोर्ड व अन्य बोर्ड में पास होना प्रतिशत 33 प्रतिशत है जबकि सक्षम का पास प्रतिशत 55 प्रतिशत रखा है।
2. सक्षम प्रश्नपत्र प्राइमरी टीचर व टीजीटी से ही बनवाये जाए।
3. इसी तर्ज पर पेपर चैक भी इन्ही से करवाये जाएं।
4. सक्षम पेपर पाठ्यक्रम में से ही आये।
5. जो बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आयु के अनुरूप किसी सक्षम से पल कक्षा में दाखिल किये जाते हैं उन्हें इस परीक्षा से मुक्त रखा जाए।
6. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी इस परीक्षा से मुक्त रखकर उनके अनुरूप प्रश्नपत्र बनाये जाएं।
7. विद्यालय में साठ प्रतिशत उपस्थित रहने वाले विद्यार्थी को ही परीक्षा का पात्र बनाया जाए।
8. उक्त दोनों केसों वाले बच्चों को कम करके शेष बच्चों को कुल पात्र छात्र सं या माना जाए और उसी आधार पर परिणाम घोषित किया जाए।
9. पिछले कुछ वर्षों से तो भिवानी बोर्ड का परीक्षा परिणाम भी 80त्न नही आया तो सक्षम 80 प्रतिशत क्यों?
10. जब फेल करने की नीति ही नही है और बच्चा बिना रुके आगे की कक्षाओं में चढ़ा जा रहा है उसका अस्सी प्रतिशत लेना कैसे संभव है।
संघ के प्रांतीय प्रवक्ता रविन्द्र राणा, प्रांतीय सचिव संजीव मंदौला, ने बताया कि राज्य के सारे अध्यापक संघ, एसोसियेशने सक्षम के बेतुके फरमानों के खिलाफ बिगुल बजाने के लिए लगातार आपसी स पर्क में है।
वरिष्ठ उपप्रधान दिलबाग सिंह अहलावत, उपप्रधान साहिब सिंह चौहान व उपमहासचिव डॉ राम निवास ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी उतने ही आदेश दें जितने अध्यापक के लिए स भव हों या फिर अतिरिक्त कक्षाओं के दौरान यदि कोई हादसा पेश आता है तो उसकी जि मेदारी भी खुद लेने को तैयार रहे। कक्षा तीन, पाँच व सात के बच्चों को सुबह आठ बजे से सायं साढ़े चार तक स्कूल में रखना बालमनोविज्ञान के भी खिलाफ है। बच्चे तनाव व हीन भावना से ग्रसित हो सकते है। अध्यापकों को भी आकस्मिक अवकाश लेने के लिए उच्चाधिकारियों की अनुमति लेनी होगीं से स बन्धित फरमान से शिक्षा विभाग में आपातकाल लगने जैसी अनुभूति हो रही हैं। इसका हल यह है कि आवश्यकता अनुरूप ही अतिरिक्त कक्षायें लेने के निर्देश किये जायें वो भी कोई जोखिम न लेते हुए की शर्त के साथ, अभिभावकों की सहमति के साथ बच्चों को विद्यालय में रोका जाए। अगर विभाग ने स्कूल शिक्षकों व मुखियाओं पर अधिक दबाव बनाया तो अध्यापक यूनियने इसके खिलाफ आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगी।