मातृभाषा के बिना ज्ञान प्राप्ति असंभव

यमुनानगर। महाराजा अग्रसैन महाविद्यालय, जगाधरी में भारतीय राजभाषा-राष्ट्रभाषा के उपलक्ष्य में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया गया। इस प्रेरक  समारोह  का आयोजन  हिन्दी विभाग के सानिध्य में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन काॅलेज प्राचार्य  डाॅ. पी.के.बाजपेयी  के उद्बोधन से हुआ। डाॅ. बाजपेयी ने बताया कि अपनी मातृभाषा के बिना राष्ट्र विकास  व मानसिक विकास का होना असंभव है। अपनी भाषा  से आत्मबल में वृद्धि होती है। हिन्दी को कमजोर  कहने वाले आज हिन्दी कम्प्यूटिंग  से अनभिज्ञ है। जितने रोजगार के अवसर हिन्दी भाषा से खुले हैं उतने  किसी अन्य भाषा में नहीं। आप हिन्दी भाषा के माध्यम से इण्टरनैट व कंम्प्यूटर  सीख कर किसी भी क्षेत्र मंें दूरदर्षन, अकाषवाणी, सूचना, तकनीक, संचार कौषल,बैंकिंग, विदेषों, दूतावासों, विष्वविद्यालयों में रोजगार  प्राप्त कर सकते हैं।
हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ. बहादुर सिंह ने इस अवसर पर विद्यार्थियांे को हिन्दी के विकासात्मक इतिहास  पर प्रकाष डाला। कोई  भी व्यक्ति मातृ भाषा में सोचता है तब कहीं  जाकर किसी अन्य भाषा में लिख पाता है। डाॅ. सिंह ने बताया कि केवल सवैधानिक प्रावधान कर देने मात्र से राजभाषा को समृद्ध नहीं बनाया जा सकता। हम सब नागरिकों को जाति-धर्म-सम्प्रदाय से उपर उठ एक  राष्ट्रीय भावना व एक राष्ट्र भाषा को अपनाना होगा। जितने भी विकसीत राष्ट्र हैं वे अपनी भाषा के बल पर  ज्ञान-विज्ञान तकनीक विषयों में प्रगति कर पाएं हैं। भाषाएंॅ सभी उत्तम हैं केवल उन्हें ज्ञान-विज्ञान व तत्कालिक परिस्थितियों से जोड़ना होगा। उन्हें समृद्ध करना होगा। पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग बढ़ाना होगा।
इस अवसर पर डाॅ. करूणा विभागाध्यक्ष-अर्थषास्त्र, डाॅ. विरेन्द्र सिंह विभागाध्यक्ष इतिहास, मैडम मनीषा, मैडम रीतु, मैडम निषाा, प्रौ. अनिल कुमार, प्रौ. विजय चावला, ने समारोह में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। डाॅ. करूणा एवं डाॅ. वीरेन्द्र सिंह हिन्दी दिवस के दौरान साहित्य के इतिहास व अर्थषास्त्र द्वारा साहित्यिक परिस्थितियों को प्रभावित करने व कवियों को लेखन हेतु प्रेरित  करने की बात कही। इस अवसर पर हिन्दी साहित्य पर आधारित प्रष्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 6 टीमों पर आधारित 30 विद्यार्थियोे ने सहभागिता की। इस आयोजन में निर्णय इस प्रकार रहें।
प्रथम- टीम संख्या 3
द्वितीय- टीम संख्या 1
तृतीय- टीम संख्या 2
विभागाध्यक्ष ने सभी विद्यार्थियांे का धन्यवाद किया व अषवासन दिया कि विभाग भविष्य में भी राष्ट्रभाषा हिन्दी की समृद्धि का प्रयास करते रहेंगे।
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