जगाधरी वर्कशॉप प्लेटफार्म के पास अंडर पास

जगाधरी वर्कशॉप। फर्कपुर निवासियों को अब रेलवे फाटक पर बनने वाले अंडर पास के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। क्योंकि डेडिकेटेड फेट कोरीडोर द्वारा जगाधरी वर्कशाप प्लेटफार्म के एंड में अंडर पास बनना तय हो गया है। इसके लिए स्टेट की तरफ से भी मंजूरी मिल चुकी है। अब रेलवे स्टेशन के एंड में अंडर पास बनेगा यहां से सड़क फर्कपुर गुरुद्वारा के पास जोड़ी जाएगी। यहां से इस सड़क को फर्कपुर मेन बाजार में जोड़ा जा सकेगा। इसके लिए फर्कपुर निवासियों को एक वर्ष का और इंतजार करना होगा। डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर अंबाला के डीप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर ट्रैफिक राजेश नैहवाल ने आज यहां का दौरा किया और बताया कि इस प्रोजेक्ट को शुरू होने में अब ज्यादा देरी नहीं लगेगी। इसके लिए अभी टेंडर होना है। जैसे ही टेँडर होगा इसका काम भी शुरू हो जाएगा।

रेनीवेल बनेगा अंडर पास में: राजेश नैहवाल का कहना है कि कई स्थानों पर जहां पहले से अंडरपास बने हुए हैं यहां पानी जमा होने की समस्या रहती है। मगर अब जो अंडर पास बनना है यह नई तकनीक से बनेगा। इसमें रेनीवेल की सुविधा होगी। यहां कितना भी पानी आ जाए मगर अंडरपास के नीचे पानी जमा नहीं होगा। साथ ही इस अंडरपास की उंचाई करीब 16 फीट होगी। जिससे यहां से ट्रक भी आसानी से आ जा सकेंगे।

इसी स्थान पर बनेगा रेलवे स्टेशन: डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर द्वारा इसी स्थान पर रेलवे स्टेशन भी बनाया जाएगा। जहां अभी मालगाड़ी के ठहरने की व्यवस्था होगी। यहां से क्रासिंग की सुविधा होगी। हालांकि यह स्टेशन पब्लिक के लिए नहीं होंगें। यह सिर्फ मालगाड़ियों के लिए ही होंगे। राजेश नैहवाल का कहना है कि स्टेशन के पीछे ही एक पावार हाउस भी होगा। अंबाला से टपरी तक जोन की बिजली की सप्लाई भी यहीं से की जाएगी।

1500 मीटर का होगा रैक: इस फ्रेट कोरीडोर के लिए कोच का रैक 1500 मीटर का होगा। अभी इंडियन रेलवे द्वारा अधिकतम रैक 750 मीटर का चलाया जा रहा है। साथ ही जो इंडियन रेलवे की पावर सप्लाई है वह भी 25 किलोवाट है। इस ट्रेक पर पावर सप्लाई भी इससे दोगुनी होगी। जिससे दो पावर इंजन जोड़कर रैक को चलाया जाएगा।

अभी जगाधरी से ही होगी लोडिंग अंनलोडिंग: जानकारी के अनुसार अभी माल की लोडिंग अनलोडिंग जगाधरी से ही होगी। यहां से लोड होने के बाद रैक को कलानौर लेजाया जाएगा। यहां से फ्रेट कोरीडोर कोच अपने अंडर लेगी और इसमें और भी कोच जोड़कर इसे आगे चलाएगी। ऐसी ही हो अनलोडिंग के लिए कोच आएंगे उसे इंडियन रेलवे द्वारा कलानौर से यहां लाया जाएगा।

समय होगा फिक्स: राजेश नैहवाल का कहना है कि ट्रेन की स्पीड़ 70 किलोमीटर के आसपास होगी। इस रैक में कहीं भी कोई बाधा नहीं रहेगी। जिसके कारण इसे जहां भेजा जाएगा या जहां से लाया जाएगा। इसका समय भी निश्चित रहेगा। यदि कोई कच्चा माल है जिसके खराब होने की संभावना अधिक रहती है तो इसके लिए भी डेडिकेटेड फ्रेट कोरीडोर द्वारा तय किया जाएगा कि रैक को कब चलाना है और कितने समय में कहां पहुंचाना है।

सावारी गाड़ियां बढेंगी: यदि ऐसा होता है तो सवारी गाड़ियों का बढ़ना भी तय है। क्योंकि इस समय एक ही ट्रेक पर दोनों गाड़ियों को चलाया जा रहा है। यदि ट्रेक पर लोड़ मालगाड़ी गुजरती है तो सवारी गाड़ी को एकदम से नहीं चलाया जाता। क्योंकि लोड़ अधिक होने के कारण ट्रेक को कुछ समय के लिए रेस्ट भी देना होता है।

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