परमात्मा के ऊपर भरोसा करके जीवन जीना चाहिए : महात्मा महासिंह

सत्संग में उपस्थित श्रद्धालु। 
निरंकारी भवन रादौर में सत्संग में उपस्थित श्रद्धालु। 

यमुनानगर (रादौर)। निरंकारी भवन रादौर में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता लाडवा से आए प्रचारक महात्मा महासिंह ने की। रादौर के मुखी महात्मा पवन ग्रोवर ने प्रचारक महात्मा महासिंह का निरंकारी का प्रतीक सफेद दुप्पटा पहनाकर सम्मान किया। प्रचारक महात्मा महासिंह ने श्रद्धालुओं को  प्रवचन करते हुए कहा कि हर कोई अपने तरीके से अपनी मर्जी से जीना चाहता है। यदि किसी की जिदंगी में क ोई दुख आ जाए तो परमपिता को दोष देना शुरू कर देते है और यदि सुख आ जाए तो परमात्मा को याद करना भुल जाते है। परमात्मा किसी को दुख नहीं देता। परमात्मा तो सुखों का सागर हेै। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि एक बार एक केकडा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चल रहा था और अपने पैरों के निशान देखकर खुश हो रहा था। इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के सभी निशान मिटा दिए। इस पर केक डे को बडा गुस्सा आया। उसने लहर से कहा कि मैं तुझे अपना मित्र मानता था पर तुने यह क्या कर दिया। मेरे बनाए सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया। तब लहर बोली और देखों पीछे से मछुआरें पैरों के निशान देखकर तुझे पकडने  आ रहे है। हे मित्र तुमको मछुआरे पकड न लें। इसलिए मैने पैरों के निशान मिटा दिए। यह सुनकर के कडे की आंखों में आंशू आ गए।

सत्संग में श्रद्धालुओं को प्रवचन देते महात्मा महासिंह। 
सत्संग में श्रद्धालुओं को प्रवचन देते महात्मा महासिंह।

आगे महात्मा महासिंह ने समझाया कि हमारे साथ भी तो ऐसा ही होता है। जैसे ही दुख या कोई मुशीबत आती है तो हम अपनी ऊंगली मालिक की तरफ उठाना शुरू कर देते है। लेकिन यह भूल जाते है कि शायद यह दुख, तकलीफ हो मालिक ने दी है। इसमें हमारा भले का कोई राज छिपा होगा। जब समय और काम हमारी मर्जी से चलते रहते है। तब तक हम खुश रहते है।  उन्होंने समझाया कि हमें परमात्मा के ऊपर भरोसा करके जीवन जीना चाहिए और अपने गुरुओं के माध्यम से परमाता की भक्ति करनी चाहिए। इस अवसर पर विशाल लंगर का भी आयोजन किया गया। जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

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