न्यूक्लियर एनर्जी पर अडानी, अंबानी, टाटा का दांव? सरकार कर रही 5 कंपनियों से बात
अगर सबकुछ ठीक रहा तो न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में अब प्राइवेट कंपनियों की एंट्री हो सकती है। सरकार निजी कंपनियों को न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में लगभग 26 बिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए आमंत्रित करेगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा पावर, अडानी पावर और वेदांता लिमिटेड सहित कम से कम पांच निजी कंपनियों के साथ लगभग ₹44000 करोड़ का निवेश करने के लिए बातचीत कर रही है।
पहली बार प्राइवेट कंपनियों की एंट्री
यह पहली बार है कि सरकार न्यूक्लियर एनर्जी में निजी निवेश कर रही है, जो एक गैर-कार्बन-उत्सर्जक एनर्जी सोर्स है जो भारत की कुल बिजली उत्पादन में दो प्रतिशत से भी कम योगदान देता है। इस फंडिंग से भारत को 2030 तक अपनी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो अब 42 प्रतिशत से अधिक है।
सरकार की उम्मीद
न्यूक्लियर एनर्जी विभाग और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने निवेश योजना पर पिछले साल निजी कंपनियों के साथ कई दौर की चर्चा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश के साथ सरकार को 2040 तक 11,000 मेगावाट नई न्यूक्लियर एनर्जी उत्पादन क्षमता बनाने की उम्मीद है। बता दें कि न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 7500 मेगावाट की क्षमता वाले भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट्स के वर्तमान बेड़े का मालिक है और उसका संचालन करता है। कंपनी ने अन्य 1300 मेगावाट के लिए निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। फंडिंग योजना के तहत, निजी कंपनियां न्यूक्लियर प्लांट में निवेश करेंगी।
क्या होगा काम
ये कंपनियां रिएक्टर कैंपस के बाहर के क्षेत्रों में निर्माण कार्य करेंगी। हालांकि, स्टेशनों के निर्माण और संचालन और उनके ईंधन प्रबंधन का अधिकार न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के पास रहेगा। इस योजना के लिए भारत के परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन परमाणु ऊर्जा विभाग से अंतिम मंजूरी की आवश्यकता होगी।