यमुनानगर रादौर। इंकलाब मंदिर गुमथला में बुधवार को हरियाणा एंटी क्रप्शन सोसायटी द्वारा 27 जून 1857 को 167 क्रांतिकारियों (नाविकों) का बलिदान दिवस मनाया गया। सोसायटी के अध्यक्ष वरयामसिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इंकलाब मंदिर में दो मिनट का मौन रखकर क्रांतिकारियों की कुर्बानियों को याद किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष वरयामसिंह ने कहा कि 27 जून सन 1857 को समाधान निषाद व लोचन निषाद सहित 167 क्रांतिकारियों (नाविकों) को अंग्रेजो ने कानपूर के सती चौरा घाट पर एक बरगद के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी थी। उन्होंने बताया कि समाधान निषाद व लोचन निषाद सहित 167 नाविकों ने कई हजार अंग्रेजों को एक साथ कानपूर में बीच नदी में डूबा कर मार दिया था। पता चलने पर बाद में अंग्रेजों ने समाधान निषाद व लोचन निषाद सहित सभी 167 क्रांतिकारियों को नदी के उसी घाट पर अंग्रेजों ने बरगद के पेड़ से लटका कर कच्ची फांसी दे दी थी। क्रांतिकारियों की पत्नियाँ (जो अंग्रेजों की पत्नियों के यहाँ नोकर थीं) वह भी अंग्रेजों की पत्नियों को मार कर कानपूर के सती चौरा घाट पर सती हो गयी थी उनके सती हो जाने पर उस घाट का नाम सती चौरा घाट पड़ा। ऐसे वीर थे हमारे क्रांतिकारियों और उनकी पत्नियाँ भारतीय नारी को कोटि-कोटि प्रणाम करते है। इस अवसर पर सतनामसिंह, गुरुनूरसिंह, हर्ष मेहता, शुभम सलुजा, सुदेश बंसल, एडवोकेट सर्वजीतसिंह, प्रवीण,दीपक गर्ग, हरमनसिंह, चमकौरसिंह, मलकीतसिंह, अवतारसिंह, मोनू त्यागी, आदि मौजूद थे।