Yamunanagar Hulchul : अमेरिकन घास/क्रॉगेंस घास/गाजर घास जिसे वैज्ञानिक भाषा में पारथेनियम हिस्टिरोफोरस के नाम से जाना जाता है, मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं एवं फसलों के लिए भी हानिकारक है तथा पिछले कई वर्षो से इस जहरीले गाजर घास का काफी फैलाव हुआ है, जिसे समय रहते नष्ट करना अति आवश्यक है ताकि आने वाले समय में मानव स्वास्थ्य एवं फसलों की रक्षा की जा सके व पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं के जीवन की रक्षा कर पर्यावरण को कायम व दूषित होने से बचाया जा सके।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त गिरीश अरोरा ने बताया कि गाजर घास के पौधे में पारथेनिन नामकजहरीला रसायन पदार्थ होता है, जो मानव के साथ-साथ पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं व फसलों के लिए हानिकारक है। उन्होंने बताया कि गाजर घास जिसे आम भाषा में अमेरिकन घास एवं कांगे्रस घास के नाम से जाना जाता है, के सम्पर्क में आने से मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा इससे एलर्जी एवं खुजली, आंखों में जलन, शरीर विशेषकर आंखों के आस-पास काले धब्बे व फफोले, बुखार, अस्थमा, जुकाम, दमा, नाक, चर्म व श्वास सम्बन्धी एलर्जी इत्यादि रोगों के साथ-साथ अनेकों बीमारियों के होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
उपायुक्त ने बताया कि अमेरिकन घास ने पूरे देश में अपनी जड़े फैला ली हैं तथा यह जहरीला घास खाली पड़ी भूमि, राष्टï्रीय एवं राजकीय राजमार्गों के आस-पास, रेलवे लाईनों के साथ-साथ कृषि भूमि में भी उत्पन्न हो रही है और यदि इस जहरीले गाजर घास एवं अमेरिकन घास को समय रहते नष्टï नहीं किया गया तो यह भावी पीढ़ी के लिए काफी नुकसानदायक सिद्ध होगी और पर्यावरण को भी दूषित करेगी।
उन्होंने बताया कि इस पौधे के बीज हवा से उड़कर व किसी अन्य माध्यम से विभिन्न स्थानों पर पहुंच कर नए पौधे उत्पन्न हो जाते हैं। इस समय इन पौधों पर नए बीजों का आना शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि इस खरपतवार के पौधे के पूरे तने पर भूरे-भूरे चांदी जैसे रंग के सूक्षम बाल होते हैं। गाजर घास अत्याधिक मात्रा में सफेद फूल एवं पकने पर बीज उत्पादित करता है। इसके परिणाम स्वरूप यह प्रति वर्ष कई गुणा क्षेत्र में फैलता जाता है ।
गिरीश अरोरा ने बताया कि गाजर घास के जहरीले पौधों को नष्ट करने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा सकते हैं, परन्तु इस जहरीले पौधे को पूर्ण रूप से समाप्त करने का सबसे आसान तरीका यह है कि इस पौधे को जड़ से उखाड़कर इसे जला दिया जाए ताकि इन पौधों के बीज भी जलकर पूर्ण रूप से नष्ट जाएं।
उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लाईफोसेट व मैट्रिबूजिन नामक कैमिकलों का घोल तैयार करके गाजर घास पर स्प्रे करके इसे नष्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गाजर घास पर जैविक नियंत्रण भी किया जा सकता है जो कि रसायनिक नियंत्रण के मुकाबले अधिक वांछित व कम खर्चे वाला तरीका है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वह अपने खेतों की मेढों व आसपास खडे गाजर घास के पौधों को नष्टï करने की ओर विशेष ध्यान दें क्येाकि यह खेतों में पैदा होकर उनके फसल उत्पादनों को प्रभावित करता है ।
उन्होंनेे बताया कि विषैले कुप्रभावों के अतिरिक्त यह खरपतवार अन्य समस्याएं भी पैदा करता है। यह खरपतवार आम रास्तों व पानी के नालों एवं नालियों को अवरूध करता है और खेतों में उग कर फसलोंं को भी नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ चरागाहों, पार्काे, खेल के मैदानों, व अन्य आवासीय स्थानों को प्रभावित करता है और अवांछनीय दुर्गन्ध से पर्यावरण को निरन्तर दूषित करता है। गाजर घास को नष्ट करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर इस कार्य में अपना सहयोग देना होगा।
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