मानसून सिर पर, अब तक पूरे नहीं हुए बाढ बचाव कार्य

खिजराबाद में स्टडों के लिए साईडों पर गिराया गया पत्थर।
खिजराबाद में स्टडों के लिए साईडों पर गिराया गया पत्थर।
खिजराबाद। मानसून सिर पर है और सिंचाई विभाग के बाढ राहत के कार्य अभी पूरे भी नही हुए। सिंचाई विभाग द्वारा कार्य समाप्त करने की डेडलाईन 30 जून घोषित कर रखी है लेकिन कई साईटों पर अभी तक पत्थर भी पूरा नही हुआ तो कई जगह काम ही शुरू नही करवाया गया जा चुका है। सिंचाई विभाग की ओर से अब की बार लगभग १२ करोड का बजट घाड क्षेत्र के लिए जारी किया हैं जिनमें लगभग २४ साईटों पर काम होना है।  हर साल की तरह इस साल भी विभाग की ओर से कार्य पूर्ण करने की तारीखें ही आगे बढाई जानी हैं। हर साल बरसाती सीजन से पहले यमुना के किनारे बसे गांवो को बाढ के पानी से बचाने के लिए सरकार की ओर से करोडों रूपए का बजट जारी किया जाता है ताकि बाढ से होने वाले नुकसान से ग्रामीणों को बचाया जा सके। पिछले वर्ष इन दिनों बाढ राहत कार्यों में पूरी तेजी थी और लगभग पंद्रह करोड रूए का बजट सरकार द्वारा जारी किया गया था। यमुना किनारे बसे क्षेत्र के लोग दहशत में जीवन बसर कर रहे हैं। गांव माली माजरा,नवाजपुर,लाक्कड,बेलगढ,टापू कमालपुर,होदरी,लापरा,बीबीपुर खानूवाला,रणजीतपुर,कलेसर,आदि दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां पर बाढ राहत के काम हर साल होते हैं लेकिन अभी तक यहां कुछ भी प्रक्रिया शुरू नही की गई है और ना ही इन क्षेत्रों के लिए कोई बजट जारी किया गया है।
हर साल बाढ से होती है तबाही : सिंचाई विभाग की ओर से अब की बार घाड क्षेत्र के लिए बाढ राहत कार्य के लिए बजट आया है लेकिन यमुनानदी के किनारे बसे गांवों के लिए किसी भी प्रकार की कोई ग्रांट नही आई। बरसाती सीजन से पहले हर साल बाढ राहत का कार्य किया जाता है और प्रशासन की ओर से टैंडर प्रक्रिया शुरू कर काम की रूपरेखा तैयार की जाती है। हर साल बरसाती सीजन में बाढ का पानी कहीं ना कहीं तबाही मचाता है और हजारों की एकड की फसल भी बर्बाद कर देता है। प्रशासन की ओर से यमुना के किनारों को रिपेयर और नए स्टड बनाए जाते हैं ताकि बाढ के पानी से तबाही ना हो लेकिन अबकी बार ऐसा नही हुआ और यदि अब की बार बाढ राहत कार्यों के लिए बजट आता भी है तो कितने दिनों में इसको पूरा किया जाएगा इसका अंदजा सहज ही लगाया जा सकता है। एक दो जगह विभाग की ओर से गांव की ओर रूख करने वाली पटडी का भी निर्माण किया जाना है।
कौन लेगा नुकसान की जिम्‍मेदारी : यमुनानदी के पास लगते गांवों के किसानों संजीव गुप्ता लाक्कड,अशोक कन्यावाला,पहल सिंह नंबरदार लाक्कड,जोगिन्द्र नवाजपुर,कुर्बान बेलगढ आदि का कहना है कि पिछले कई महीनों से बेलगढ के साथ लगते एरिया में खनन पूरे जोरों पर हुआ है और अवैद्य खनन करने वालों ने बेलगढ एरिया के साथ लगती यमुना की पटडी को भी खोद डाला है और यदि ऐसे में अबकी बार बाढ आती है तो यमुना नदी के साथ लगते गांवों में पानी घुसने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। अवैद्य खनन करने वालों ने सारे पुराने स्टड भी तोड दिये।
कहीं पर भी नही हुए काम शुरू : कलेसर, माली माजरा, लाक्कड, मांडेवाला, बेलगढ, टिबडियों, आंबवाली, लेदी आदि सभी जगहों पर काम के लिए बजट तैयार नही किया गया। ऐसी जगहों पर हर साल बाढ राहत कार्य किए जाते हैं क्‍योंकि इन जगहों पर स्थानीय नदी नालों का पानी अकसर खेतों में तबाही मचाता है। सिंचाई विभाग की ओर से साईडों पर पत्थर गिरवाया जाता है और पूरा होने के बाद पत्थर की स्टैचिंग का काम किया जाता है स्टैचिंग होने के बाद विभाग की ओर से पत्थर की पैमाईश करके उसके बाद स्टड का काम शुरू होता है। विभाग की ओर से स्टड और पटडी आदि बांधने के लिए विभाग की ओर से पत्थर भी वजन के हिसाब से स्टड में लगाया जाता है लेकिन हर बार स्टडों और पटडी के बांधों के निर्माण में कम वजन के पत्थरों का प्रयोग होने के मामले भी उछले हैं।
क्‍या कहते हैं अधिकारी : इस बारे में सिंचाई विभाग के एस.ई. एस.डी.शर्मा का कहना है कि अब की बार सिंचाई विभाग की ओर से बाढ राहत कार्यों के लिए १२ करोड रूपए का बजट जारी किया गया है और २४ साईटों पर काम होना है। बाढ राहत कार्य अपनी पूरी प्रगति पर हैं और सभी साईडों पर पत्थरों की सप्लाई हो चुकी है। निर्धारित समय में कार्य पूरा हो जाएगा।
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