कैंपस प्लेसमेंट का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर, आईटी हायरिंग कमजोर होने के आसार

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कैंपस प्लेसमेंट का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर, आईटी हायरिंग कमजोर होने के आसार

कैंपस प्लेसमेंट का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर, आईटी हायरिंग कमजोर होने के आसार

कैंपस सेलेक्शन की राह देख रहे आईटी के छात्रों के लिए मायूस करने वाली खबर है। कमजोर मांग की वजह से कुछ भारतीय आईटी कंपनियों के हायरिंग ग्रोथ में गिरावट आ सकती है। यह तब तक जारी रह सकती है, जब तक कि विवेकाधीन खर्च गति नहीं पकड़ लेता। टॉप-4 में टीसीएस एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसने जून तिमाही में नौकरी दी। वह भी महज 523 कर्मचारी जोड़े। इसके अलावा जून तिमाही में चार बड़ी आईटी कंपनियों में कुल मिलाकर 18,000 लोगों की छंटनी हुई। इंफोसिसमें 6,940,  विप्रो में 8,812 और एचसीएल में कर्मचारियों की संख्या में 2,506 की गिरावट आई। एक्सेंचर ने वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 951 लोगों को जोड़ा। अगले सप्ताह से शुरू होने वाले सितंबर तिमाही के आय सीजन के साथ एक्सेंचर की धीमी ग्रोथ का भारतीय आईटी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

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टीओआई की खबर के मुताबिक विवेकाधीन खर्च, बड़े लागत वाले टेकआउट कार्यक्रमों और डिसीजन मेकिंग साइकिल में कमी से संकेत मिलता है कि भारतीय आईटी कंपनियों में कम नियुक्तियां कुछ समय के लिए रहेंगी। ग्रोथ एडवाइजरी फर्म कैटलिनक्स के पार्टनर रामकुमार राममूर्ति ने कहा, “विवेकाधीन खर्च में लगातार कमजोरी के साथ अंतर्निहित उत्पादकता प्रतिबद्धताओं के साथ बड़ी लागत वाले सौदे आ रहे हैं और कर्मचारियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। इससे कर्मचारी उपयोग बढ़ रहा है। शुद्ध नई नियुक्तियों में जब तक हम कुछ सकारात्मक बदलाव नहीं देखेंगे, आईटी सेक्टर में कमजोरी बनी रहेगी।”

उन्होंने कहा कि कमजोर मांग का माहौल अनुभवी पेशेवरों की नियुक्ति को प्रभावित करने के अलावा एसटीईएम परिसरों से नियुक्तियों पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी बताया, “हम पहले से ही कुछ बड़ी कंपनियों के कैंपस से दूर रहने, ऑनबोर्डिंग में देरी करने के साथ-साथ अपनी छोटी और मध्यम अवधि की भर्ती और प्रशिक्षण योजनाओं को फिर से व्यवस्थित करने के संकेत देख रहे हैं।”

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